31-May-2025
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सिंगापुर,(ईएमएस)। अमेरिका ने चीन पर एशिया के भू-राजनीतिक संतुलन को बिगाड़ने की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए कहा कि चीन 2027 तक ताइवान पर हमला कर सकता है और इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा। अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने शनिवार को शांगरी-ला डायलॉग के दौरान यह गंभीर चेतावनी दी। हेगसेथ ने कहा, कि चीन यदि जबरदस्ती ताइवान पर कब्जा करने की कोशिश करता है, तो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र और वैश्विक स्थिरता दोनों को गंभीर खतरा होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि चीन लगातार साइबर हमले, दक्षिण चीन सागर में अवैध कब्जा और पड़ोसी देशों को डराने-धमकाने जैसी रणनीति अपना रहा है। चीन पर सैन्य हमले की तैयारी का आरोप अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन ताइवान के आसपास बार-बार सैन्य अभ्यास कर रहा है, जो किसी बड़े हमले की तैयारी का संकेत हो सकता है। उन्होंने कहा कि चीन का असली मकसद 2027 तक ताइवान पर नियंत्रण पाना है, और अमेरिका अपने सहयोगी देशों के साथ मिलकर इसका मुकाबला करेगा। ट्रम्प प्रशासन का रुख हेगसेथ ने कहा कि ट्रम्प प्रशासन चीन को रोकने के लिए व्यापार और रक्षा दोनों मोर्चों पर रणनीति बना रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रम्प चाहते हैं कि यूरोपीय देश अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद उठाएं, ताकि अमेरिका इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अधिक संसाधन लगा सके। उन्होंने याद दिलाया कि ट्रम्प के पहले कार्यकाल में चीन ने ताइवान पर हमला नहीं किया था, और ट्रम्प का उद्देश्य भी यही है कि युद्ध की नौबत न आए। मैक्रों का भी परोक्ष हमला इस वर्ष शांगरी-ला डायलॉग का उद्घाटन फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने किया। यह पहला मौका है जब किसी यूरोपीय नेता को यह सम्मान मिला है। मैक्रों ने अपने भाषण में बिना चीन और रूस का नाम लिए कहा कि कुछ देश समुद्रों, द्वीपों और संसाधनों पर दबदबा बनाकर दूसरों को बाहर करना चाहते हैं। उन्होंने चेताया कि अगर रूस को यूक्रेन पर हमला करने दिया गया और उस पर कार्रवाई नहीं हुई, तो ताइवान और फिलीपींस में भी ऐसे हालात बन सकते हैं। मैक्रों ने कहा, कि यूक्रेन की जंग को दूर की बात समझना गलत होगा। अगर आज दुनिया रूस को नहीं रोक पाई, तो कल और देश भी यही करने की हिम्मत कर लेंगे। अमेरिका और उसके सहयोगियों ने चीन की बढ़ती आक्रामकता को लेकर गहरी चिंता जाहिर की है। ताइवान को लेकर चीन की मंशा को लेकर दुनिया भर में राजनीतिक और सैन्य हलकों में हलचल तेज हो गई है। अब यह देखना होगा कि चीन की प्रतिक्रिया क्या होती है और क्षेत्रीय सुरक्षा संतुलन कैसे प्रभावित होता है। हिदायत/ईएमएस 31मई25