वाशिंगटन (ईएमएस)। दुनिया के कई गरीब देशों के लिए अब सिर्फ गरीबी नहीं, चीन का कर्ज भी संकट बनता जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया के प्रतिष्ठित थिंकटैंक लॉय इंस्टीट्यूट ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें खुलासा हुआ हैं कि इस साल 75 सबसे गरीब देशों को चीन को रिकॉर्ड स्तर की कर्ज किस्त चुकानी है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने इन गरीब देशों को कुल 35 अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज दे रखा है। ये कर्ज अब धीरे-धीरे आर्थिक सहयोग नहीं, बल्कि कूटनीतिक हथियार में बदल रहा है। रिपोर्ट में बताया कि ये देश अब उस मोड़ पर हैं, जहां उनकी अर्थव्यवस्थाएं स्थिर नहीं, बल्कि कर्ज चुकाने की चिंता में डूबती दिख रही हैं। रिपोर्ट बताती है कि “इतनी बड़ी रकम वापस करना इन देशों की विकास योजनाओं को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। पिछले एक दशक में चीन ने दर्जनों देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर, पावर प्रोजेक्ट और बंदरगाहों के लिए भारी निवेश किया। शुरुआत में यह निवेश आर्थिक सहयोग की तरह दिखा, लेकिन शर्तें इतनी सख्त थीं कि कई देश ऋण जाल में फंसते गए। श्रीलंका, जाम्बिया, पाकिस्तान और केन्या जैसे देशों के उदाहरण सामने हैं जहां चीन को कर्ज न चुका पाने के चलते रणनीतिक परिसंपत्तियों पर उसका कब्जा बढ़ा। श्रीलंका का हम्बनटोटा पोर्ट इसका उदाहरण है, इस 99 साल की लीज पर चीन को देना पड़ा। अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार मानते हैं कि चीन की ये रणनीति सिर्फ आर्थिक नहीं, राजनीतिक और सामरिक नियंत्रण का एक तरीका है। ये देश जब कर्ज चुकाने में असमर्थ होते हैं, तब उन्हें चीन के शर्तों पर झुकना पड़ता है। जैसे व्यापार नियम, रक्षा समझौते या समुद्री रणनीति के फेर में फंसना पड़ा है। भारत के पड़ोस में नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव जैसे कई देशों पर चीन का कर्ज है। अगर ये देश भी दबाव में आते हैं, तब चीन की रणनीतिक पकड़ भारत की सीमाओं के बेहद करीब पहुंच सकती है। आशीष/ईएमएस 01 जून 2025