करांची(ईएमएस)। पाकिस्तानी आतंकी संगठन जमात-उद-दावा ने एक बार फिर बांग्लादेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। संगठन के नेताओं ने दावा किया है कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटाने में उनकी अहम भूमिका थी। यह दावा हाफिज सईद के नेतृत्व वाले संगठन के नेताओं सैफुल्लाह कसूरी और मुजम्मिल हाशमी ने किया, जिन्होंने कहा कि यह 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का बदला था। जमात-उद-दावा के सरगना सैफुल्लाह कसूरी ने कहा कि 1971 में बांग्लादेश की आजादी के बाद पाकिस्तान का विभाजन उनके लिए एक बड़ा झटका था। उन्होंने दावा किया कि पिछले साल 5 अगस्त को बांग्लादेश में हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों में उनके संगठन ने सक्रिय भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप शेख हसीना को सत्ता छोड़कर भारत भागना पड़ा। मुजम्मिल हाशमी ने भी इस दावे को दोहराते हुए कहा कि यह भारत को हराने का एक मौका था। हाफिज सईद, जो 2008 के मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड है, लंबे समय से भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित सईद के संगठन जमात-उद-दावा पर कई देशों ने प्रतिबंध लगाए हैं। इन दावों के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक माहौल और गरम हो गया है, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है। शेख हसीना को 5 अगस्त 2024 को छात्रों के नेतृत्व वाले आंदोलन के बाद सत्ता से हटना पड़ा था। इसके बाद वे भारत चली गईं, और मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में कार्यभार संभाला। वीरेंद्र/ईएमएस/01जून2025