कोरबा (ईएमएस) सार्वजनिक क्षेत्र के वृहद उपक्रम कोल् इंडिया के अधीन संचालित एसईसीएल बिलासपुर की कोरबा-पश्चिम क्षेत्र में स्थापित खुले मुहाने की गेवरा कोयला परियोजना अंतर्गत एसईसीएल द्वारा कोयला खनन के लिए अत्याधुनिक विश्व-स्तरीय मशीनों का प्रयोग किया जा रहा है जिससे न सिर्फ उत्पादन बढ़ रहा है, कोयले की गुणवत्ता बेहतर हो रही है बल्कि पर्यावरण भी स्वच्छ हो रहा हैं। एसईसीएल द्वारा अपने मेगा परियोजना गेवरा, दीपका और कुसमुंडा में सरफेस माइनर मशीन की मदद से कोयला खनन किया जा रहा है। सरफेस माइनर ड्रिलिंग एवं ब्लास्टिंग के उपयोग के बिना कोयला खनन सुनिश्चित कर देता है तथा मोटी सीम में कुशलतापूर्वक कोयला काटकर निकाल सकता है, जिससे हेण्डलिंग प्लांटों में भेजकर क्रशिंग व ग्राईन्डिंग कराने की जरूरत नहीं रहती। इन-बिल्ट स्प्रिंकलर सिस्टम खनन की प्रक्रिया के दौरान निकलने वाली कोयले के सूक्ष्म कणों को हवा में मिलने से रोकता है, जिससे स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित होता है। एसईसीएल में सरफेस माइनर के प्रयोग को बड़े स्तर पर बढ़ावा दिया जा रहा है।एसईसीएल में लगभग 70 फीसदी कोयला उत्पादन सरफेस माइनर की मदद से किया जाता है। अफसरों का कहना है कि सरफेस माइनर तकनीक से ईको-फ्रेंडली तरीके से कोयला निकालना संभव हुआ है एवं इसने खनन क्षेत्र के आसपास रहने वाले लोगों के जीवन को भी आसान बनाया है। अधिकारियों का कहना है कि ज़मीन के नीचे दबे कोयले को निकालने से पहले उसके ऊपर की मिट्टी, पत्थर आदि की परत जिसे ओवरबर्डन (ओबी) कहा जाता है, को सबसे पहले हटाया जाता है। इस प्रक्रिया में आम तौर पर ब्लास्टिंग यानि विस्फोट का प्रयोग किया जाता है खासकर कि तब जब ओबी की परत बहुत सख्त हो या उसमें बड़े-बड़े पत्थर आदि शामिल हों। ब्लास्टिंग से खदान के आसपास के रहवासियों को कई बार असुविधा होती है साथ ही वातावरण में प्रदूषण के जमा हो जाने की आशंका रहती है। इसे देखते हुए एसईसीएल द्वारा अपनी मेगापरियोजनाओं में ओबी हटाने के लिए रिपर मशीन का प्रयोग किया जा रहा है। इस मशीन की मदद से किसी भी तरह की ब्लास्टिंग किए बिना ओबी हटाना संभव हुआ है। देश की सबसे बड़ी एसईसीएल की गेवरा खदान में ओबी हटाने के लिए रिपर मशीन का प्रयोग किया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि एसईसीएल मुख्यालय व विभिन्न संचालन क्षेत्रों में 4,000 किलोवाट की रूफ-टॉप सोलर परियोजनाओं पर काम कर रहा है। इसके अतिरिक्त जोहिला क्षेत्र में कमीशन की गई पारियोजना की क्षमता लगभग 280 केडब्लूपी है जो पूरी कंपनी में सबसे अधिक क्षमता वाली रूफ-टॉप सौर परियोजना है। इसके साथ ही एसईसीएल द्वारा जमुना-कोतमा एवं कुसमुंडा क्षेत्रों में 400 केडब्लूपी रूफ-टॉप सोलर संयंत्रों को शुरू किया गया है जिससे हर साल लाखों यूनिट बिजली की बचत हो पा रही है। 07 जून / मित्तल