लंदन(ईएमएस)। मध्यकालीन इंग्लैंड में चर्च और कुलीन वर्ग के बीच संघर्ष कितना तीखा हो सकता था। यह हत्या उस समय की सामाजिक और राजनीतिक खींचतान का प्रतीक बन गई। पादरी फोर्ड की मौत एक ऐसा उदाहरण बन गई, जो बताता है कि बदले की राजनीति और ऑनर किलिंग जैसी घटनाएं कोई नई नहीं, बल्कि सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा रही हैं। इतिहास में दर्ज एक 700 साल पुराना कोल्ड केस आखिरकार सुलझा लिया गया है। यह मामला साल 1337 में लंदन की एक व्यस्त सड़क पर पादरी जॉन फोर्ड की गला रेतकर की गई हत्या से जुड़ा है। अब कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी द्वारा चलाए जा रहे ‘मेडिएवल मर्डर मैप्स’ प्रोजेक्ट के जरिए इस रहस्यमय हत्या की परतें खुल चुकी हैं। रिसर्च में सामने आया कि यह हत्या एक कुलीन महिला एला फिट्जपेन द्वारा बदले की भावना से करवाई गई थी और इसे पूरी योजना के साथ अंजाम दिया गया। रिकॉर्ड्स के अनुसार, एला ने यह हत्या अपने भाई और दो नौकरों की मदद से करवाई थी। यह एक माफिया-स्टाइल असैसिनेशन था, जिसे उस समय की सत्ता के संकेत के रूप में अंजाम दिया गया। यही नहीं, एला, उसका पति और फोर्ड खुद भी चर्च की संपत्ति को निशाना बनाने वाले एक गिरोह का हिस्सा थे, जिसने चर्च के एक प्रायरी पर हमला किया था और फिरौती के लिए मवेशियों को बंधक बनाया था। इन तथ्यों से यह स्पष्ट होता है कि हत्या की यह घटना सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि एक सुनियोजित शक्ति प्रदर्शन भी थी। जांच में पता चला कि एला फिट्जपेन, जो उस दौर के उच्चवर्गीय समाज से ताल्लुक रखती थीं, पर कई पुरुषों के साथ रिश्ते रखने के आरोप लगे थे। पादरी जॉन फोर्ड के साथ उसके संबंधों की खबर जब चर्च तक पहुंची, तो उसे सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा किया गया। उसे सालिसबरी कैथेड्रल के चारों ओर नंगे पांव घुमाया गया, कीमती गहने पहनने से रोक दिया गया और भारी जुर्माना भी लगाया गया। यह सब चर्च की ओर से उसे नैतिक दंड देने के लिए किया गया था। यह घटना एला के लिए न सिर्फ सामाजिक, बल्कि राजनीतिक अपमान भी बन गई। क्रिमिनोलॉजिस्ट मैनुएल आइज़नर की जांच में सामने आया कि यह हत्या कोई सामान्य प्रेम प्रसंग की परिणति नहीं थी, बल्कि इसमें बदले की भावना के साथ सत्ता संघर्ष भी जुड़ा था। वीरेंद्र/ईएमएस/07जून2025 --------------------------------