अंतर्राष्ट्रीय
10-Jun-2025
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इस्लामाबाद (ईएमएस)। पाकिस्तान इनदिनों गंभीर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है। यहां महंगाई रिकॉर्ड ऊंचाई पर है, विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ अगला बेलआउट पैकेज भी अधर में लटका दिख रहा है। गले तक कर्ज में डूबा जिन्ना का देश भारत से टकराने के लिए रक्षा बजट में लगातार इजाफा कर रहा है। ऑपरेशन सिंदूर में पीटने के बाद सेना और सरकार रक्षा सामनों की खरीद में नागरिक सुविधाओं की बली देने को तैयार है। किस्तान में अप्रैल के आंकड़ों के अनुसार, महंगाई दर 18 प्रतिशत ऊपर बनी हुई है। खाने-पीने की चीजों से लेकर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी उछाल ने लोगों की कमर तोड़ दी है। पाकिस्तान की आर्थिक हालात इतनी बिगड़ चुकी है कि अब हर पाकिस्तानी नागरिक, यहां तक कि नवजात बच्चे पर भी औसतन 277,462 पाकिस्तानी रुपये का कर्ज़ चढ़ चुका है। नए आर्थिक सर्वें 2024-25 के मुताबिक, देश का कुल सार्वजनिक कर्ज़ 76.01 ट्रिलियन डालर तक पहुंच गया है, जो जीडीपी का 66.27 प्रतिशत है और ये कानूनी सीमा से भी ज़्यादा है। बीते एक दशक में ये कर्ज़ 337 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि 2008 से अब तक ये 994 प्रतिशत तक उछल चुका है। बार-बार सरकारों की उधारी की आदत ने मुल्क को ऐसी हालत में पहुंचा दिया है, जहां कर्ज अब एक स्थायी संकट बन चुका है। इस बजट में रक्षा खर्च और विकास परियोजनाओं को लेकर भी फोकस रह सकता है। आर्थिक तंगी के बावजूद पाकिस्तान हर साल रक्षा बजट में बढ़ोतरी करता रहा है। आशीष दुबे / 10 जून 2025