नई दिल्ली,(ईएमएस)। अब चीन को लगने लगा है कि भारत से बेहतर संबंध रखना उसके लिए ज्यादा जरुरी है। यही वजह से चीन अपने विशेष मंत्री को भारत भेजा रहा है। दोनों देशों की बातचीत होगी और जहां जो भी भ्रम है उस पर खुलकर बात होगी ताकि दोस्ती को मजबूत किया जा सके। चीन के उप विदेश मंत्री सुन वेइदोंग इस सप्ताह भारत के दो दिवसीय दौरे पर आ रहे हैं। यह दौरा इस साल दोनों देशों के बीच होने वाला दूसरा उच्च स्तरीय संवाद होगा। इससे पहले जनवरी 2025 में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बीजिंग का दौरा किया था, जहां दोनों पक्षों ने संबंध सामान्य करने को लेकर कई कदमों पर सहमति जताई थी। इस दौरान वे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल से मुलाकात कर सकते हैं और विदेश सचिव-उप मंत्री स्तर की बातचीत में हिस्सा लेंगे। माना जा रहा है कि इसी साल के अंत तक डोभाल चीन के विशेष प्रतिनिधि व विदेश मंत्री वांग यी की मेजबानी भी कर सकते हैं। बता दें कि इससे पहले जनवरी में बीजिंग में हुई बातचीत के दौरान दोनों देशों ने कैलाश मानसरोवर यात्रा को 2025 की गर्मियों से फिर से शुरू करने पर सहमति जताई थी, जो कि भारत की एक प्रमुख मांग थी। इसके अलावा सीमापार नदियों पर सहयोग को लेकर भी प्रगति हुई है, हालांकि अब तक भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानों को फिर से शुरू नहीं किया गया है, जिस पर सैद्धांतिक सहमति पहले ही बन चुकी है। पीएम मोदी कर सकते हैं चीन की यात्रा इस सप्ताह होने वाली बातचीत में दोनों देश जनवरी में लिए गए निर्णयों की प्रगति की समीक्षा करेंगे। चर्चा में यह भी शामिल हो सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर में चीन यात्रा करें। पीएम मोदी को तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एसीओ) शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया गया है, लेकिन अभी उन्होंने इसमें भागीदारी की पुष्टि नहीं की है। शिखर सम्मेलन से पहले विदेश मंत्रियों की बैठक भी होगी, जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर के शामिल होने की संभावना है। सुन वेइदोंग लद्दाख गतिरोध शुरू होने के समय भारत में चीन के राजदूत थे। उनका यह दौरा यह दर्शाता है कि दोनों देश इस शुरुआती समझदारी और मेल-मिलाप को आगे बढ़ाना चाहते हैं। भारत-पाकिस्तान तनाव को इससे अलग रखा जा रहा है, ताकि भारत-चीन संवाद बाधित न हो। आपसी भरोसे पर भी चर्चा संभव भारत की ओर से इस बैठक में व्यापार और आर्थिक संबंधों में पारदर्शिता व स्थिरता जैसे मुद्दे उठाए जा सकते हैं। इसके साथ ही जन-जन संवाद, मीडिया और थिंक-टैंक के आदान-प्रदान को फिर से शुरू करने पर भी चर्चा होगी। भारत चाहता है कि दोनों देश संवाद तंत्रों को चरणबद्ध तरीके से बहाल करें, जिससे एक-दूसरे की चिंताओं को समझने और समाधान निकालने का रास्ता बन सके। ऐसे हुई थी संबंधों में सुधार की शुरुआत चीनी मंत्री का यह दौरा पूर्वी लद्दाख से सैनिकों की पूरी तरह से वापसी के बाद संबंधों में सुधार को दर्शाता है। लगभग पांच साल चले इस सैन्य तनाव ने भारत-चीन संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया था। इस तनाव के खत्म होने के तुरंत बाद, अक्टूबर 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की रूस में मुलाकात हुई और इसके दो महीने बाद सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता भी फिर से शुरू की गई। वीरेंद्र/ईएमएस/11जून2025