12-Jun-2025
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ढाका,(ईएमएस)। शाजादपुर स्थित नोबेल विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के पैतृक निवास कचहरीबाड़ी में उग्र भीड़ ने जमकर तोड़फोड़ की। यह वही ऐतिहासिक इमारत है जहां टैगोर ने अपने जीवन की कई महत्वपूर्ण रचनाएं लिखी थीं। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भीड़ ने ‘टैगोर विरोधी’ नारे लगाए और घर की खिड़कियों, दरवाजों और फर्नीचर को नुकसान पहुंचाया। घटना के बाद कचहरीबाड़ी को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। साइट के संरक्षक मोहम्मद हबीबुर रहमान ने बताया कि सुरक्षा कारणों के चलते अब यहां पर्यटकों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा और पुरातत्व विभाग हालात की निगरानी कर रहा है। घटना की शुरुआत एक मामूली बहस से हुई थी। घटना के बाद बांग्लादेश सरकार की ओर से पुरातत्व विभाग ने तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है जो हमले के कारणों, जिम्मेदारों और सुरक्षा चूक की जांच करेगी। हालांकि, बांग्लादेश की सांस्कृतिक बिरादरी और टैगोर प्रेमियों में इस हमले को लेकर गहरी नाराजगी है। कई साहित्यकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे राष्ट्रीय शर्म बताते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। घटना के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिनमें देखा जा सकता है कि कैसे भीड़ ने हॉल की खिड़कियां तोड़ीं और गेट को नुकसान पहुंचाया। सवाल यह भी उठ रहा है कि इतने महत्वपूर्ण स्थल की सुरक्षा व्यवस्था इतनी कमजोर कैसे छोड़ दी गई? शाजादपुर स्थित कचहरीबाड़ी रवींद्रनाथ टैगोर के पुश्तैनी जमींदारी संपत्ति का हिस्सा थी। यह घर न केवल टैगोर परिवार के रेवेन्यू ऑफिस के रूप में काम करता था, बल्कि यही वो जगह थी जहां टैगोर ने अपनी कई प्रसिद्ध रचनाएं – कविताएं, गीत और कहानियां – लिखीं। यह इमारत आज भी बांग्लादेश की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक मानी जाती है। इतिहासकारों का कहना है कि टैगोर ने शाजादपुर में रहते हुए बंगला साहित्य को नई ऊंचाइयां दीं और ग्रामीण बांग्लादेश की झलक को अपनी लेखनी में जीवंत किया। ऐसे में इस स्थान पर हुई तोड़फोड़ न केवल एक सांस्कृतिक अपराध है, बल्कि यह पूरे उपमहाद्वीप की साझा विरासत पर सीधा हमला है। बाइक की पार्किंग को लेकर हुआ था विवाद रिपोर्ट के मुताबिक, एक पर्यटक अपने परिवार के साथ कचहरीबाड़ी देखने पहुंचा था, जहां बाइक की पार्किंग फीस को लेकर उसकी एक कर्मचारी से कहासुनी हो गई। आरोप है कि विवाद के बाद उस व्यक्ति को कार्यालय में बंद कर पीटा गया। जब यह बात स्थानीय लोगों तक पहुंची, तो उन्होंने आक्रोश में प्रदर्शन शुरू कर दिया, जो बाद में हिंसा में बदल गया। भीड़ ने न केवल मुख्य भवन के ऑडिटोरियम को नुकसान पहुंचाया बल्कि संस्थान के एक निदेशक पर भी हमला किया। इसके बाद हालात बिगड़ने से पहले ही परिसर को खाली कराया गया और पुलिस बल तैनात किया गया। वीरेंद्र/ईएमएस/12जून2025