नई दिल्ली (ईएमएस)। दिल्ली की एक अदालत ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में 12 आरोपियों को बरी कर दिया है, जबकि एक आरोपी को सांप्रदायिक नफरत फैलाने के लिए दोषी पाया गया है। अदालत ने साक्ष्यों की कमी के कारण हत्या के आरोपों में बरी किया, लेकिन व्हाट्सएप ग्रुप में सांप्रदायिक संदेश भेजने के लिए एक व्यक्ति को दोषी पाया। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 2020 में भड़के दंगों से जुड़े एक अहम मामले में दिल्ली की एक अदालत ने 12 आरोपियों को हत्या, दंगा और गैरकानूनी जमावड़े जैसे गंभीर आरोपों से बरी कर दिया है। अदालत ने यह निर्णय परिस्थितिजन्य साक्ष्यों में ठोस कड़ियों की कमी के आधार पर लिया। हालांकि, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने आरोपी लोकेश सोलंकी को भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए (धर्म या जाति के आधार पर द्वेष फैलाना) और धारा 505 (सार्वजनिक अव्यवस्था भड़काने वाला बयान देना) के तहत दोषी करार दिया है। यह मामला 25 फरवरी 2020 की उस घटना से जुड़ा है, जब उत्तर-पूर्वी दिल्ली के भागीरथी विहार इलाके में एक व्यक्ति, आस मोहम्मद, की हत्या कर दी गई थी और उसका शव नाले में फेंक दिया गया था। अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि सभी 13 आरोपी एक उग्र भीड़ का हिस्सा थे, जिसने इस हत्या को अंजाम दिया था। अजीत झा/ देवेन्द्र/नई दिल्ली/ईएमएस/13/जून/2025