- 4 लाख 50 हजार पेंसनर्स को मिलेगा लाभ भोपाल (ईएमएस)। मप्र की मोहन यादव सरकार केंद्र सरकार की यूनिफाइड पेंशन स्कीम को किसी भी वक्त राज्य में लागू कर सकती है। प्रदेश के अधिकारियों का कहना है कि यूपीएस को लागू करने के लिए सरकार को इसका प्रस्ताव सदन में पटल पर रखना होगा। सरकार जब चाहे तब ये कदम उठा सकती है। प्रदेश के वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने यूपीएस को लेकर शुरुआती तौर पर काम कर लिया है। इस पेंशन स्कीम को लागू करने के लिए सरकार को 225 करोड़ अतिरिक्त रुपयों की जरूरत होगी। यानी, सरकार को यूपीएस के लिए नेशनल पेंशन स्कीम की राशि से 4.5 फीसदी ज्यादा बजट की व्यवस्था करनी होगी। राज्य सरकार ने अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए इक्विटी लिमिट और फंड मैनेजर जैसे विकल्पों में वृद्धि की है। रिटायरमेंट के बाद लोगों को इनका सीधा लाभ मिलेगा। हालांकि, ये दोनों लाभ बाजार के जोखिम पर निर्भर करेंगे। इस स्कीम में राज्य के उन अधिकारियों-कर्मचारियों को शामिल किया गया है, जिनकी नौकरी साल 2005 में लगी, जबकि, ऑल इंडिया सर्विस के उन अधिकारियों-कर्मचारियों को शामिल किया जाएगा जिनकी नौकरी साल 2004 में लगी। गौरतलब है कि केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के लिए एक अप्रैल, 2025 से यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) लागू कर चुकी है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों को नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) और यूनिफाइड पेंशन स्कीम में से किसी एक को चुनने का फैसला इसी महीने (जून) के अंत तक करना है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक वर्तमान में एनपीएस में पेंशन फंड में कर्मचारियों के वेतन से 10 प्रतिशत की कटौती की जाती है, जबकि राज्य सरकार द्वारा 14 प्रतिशत राशि जमा की जाती है। यूपीएस लागू होने पर पेंशन फंड में कर्मचारियों के वेतन से पूर्व की तरह 10 प्रतिशत राशि ही काटी जाएगी, जबकि सरकार का योगदान 14 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत रह जाएगा, लेकिन सरकार को एक कॉर्पस फंड बनाना जिसमें 8.5 प्रतिशत राशि अलग से जमा करेगी। यानी यूपीएस लागू होने पर सरकार को पेंशन फंड में 4.5 प्रतिशत अधिक योगदान देना होगा। मप्र सरकार हर महीने कर्मचारियों के वेतन-भत्तों पर करीब 5 हजार करोड़ रुपए खर्च करती है। एनपीएस की तुलना में यूपीएस में 4.5 प्रतिशत अधिक राशि जमा करने पर सरकारी खजाने पर हर महीने करीब 225 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा। मप्र सरकार ने भी बनाई कमेटी मप्र सरकार भी एक अप्रैल, 2005 को या उसके बाद नियुक्त सरकारी कर्मचारियों के लिए यूपीएस लागू करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए सरकार ने अपर मुख्य सचिव वन अशोक बर्णवाल की अध्यक्षता में आईएएस अफसरों की कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी गत 29 अप्रैल को गठित की गई थी, लेकिन अब तक कमेटी की एक भी बैठक नहीं हुई है। यही वजह है कि सरकार यूपीएस लागू करने को लेकर आगे कोई निर्णय नहीं ले पाई है। अपर मुख्य सचिव वित्त मनीष रस्तोगी, सचिव वित्त लोकेश जाटव, संचालक बजट तन्वी सुन्द्रियाल, उप सचिव जीएडी अजय कटेसरिया समिति के सदस्य और संचालक पेंशन जेके शर्मा सदस्य सचिव हैं। एनपीएस के अंतर्गत आने वाले जो लोग संशोधित योजना का विकल्प चुनते हैं, उन्हें उनके अंतिम वेतन के 50 प्रतिशत के बराबर गारंटीशुदा पेंशन और मुद्रास्फीति में वृद्धि प्राप्त होगी। कर्मचारी की मृत्यु पर कर्मचारी की पेंशन का 60 प्रतिशत उसके परिजनों को दिया जाएगा (पारिवारिक पेंशन)। इसके लागू होने पर मप्र में करीब पांच लाख सरकारी कर्मचारियों को यूपीएस का लाभ मिलेगा। जमीनी काम पूरा राज्य के वित्त विभाग के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने जमीनी काम कर लिया है और सरकार को 2024-25 के लिए मप्र में एनपीएस के लिए अनुमानित राशि के लिए अतिरिक्त 225 करोड़ रुपये या 4.5 प्रतिशत अधिक खर्च करना होगा, जो लगभग 5000 करोड़ रुपये है। हालांकि, यूपीएस बाजार जोखिम पर आधारित होगा। इसमें 2005 के बाद के राज्य सेवाओं के अधिकारी-कर्मचारी और 2004 के बाद के अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी शामिल होंगे। केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए मौजूदा एनपीएस के विकल्प के रूप में यूपीएस लॉन्च किया। अप्रैल 2025 में कार्यान्वयन के लिए निर्धारित, यह नई योजना 2004 के बाद शामिल हुए कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प प्रस्तुत करती है। प्रदेश में वर्तमान में करीब 4 लाख 50 हजार कर्मचारी नेशनल पेंशन स्कीम के दायरे में हैं। ये कर्मचारी लंबे समय से सरकार से ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की मांग कर रहे हैं। तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री उमाशंकर तिवारी का कहना है कि सरकार को ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करना चाहिए। यूपीएस को लेकर कर्मचारी सहमत नहीं है। विनोद / 13 जून 25