14-Jun-2025
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यरुशलम,(ईएमएस)। कोविड-19 महामारी पर हो रहे वैश्विक शोधों के बीच इजरायली वैज्ञानिकों की एक चौंकाने वाली खोज सामने आई है, जो वायरस की दीर्घकालिक जटिलताओं को लेकर नई चेतावनी है। यरुशलम के शोधकर्ताओं ने खुलासा किया है कि कोरोना वायरस का एक प्रमुख न्यूक्लियोकैप्सिड प्रोटीन (एनपी) न सिर्फ संक्रमित कोशिकाओं में सक्रिय होता है, बल्कि पड़ोसी स्वस्थ कोशिकाओं पर भी अप्रत्यक्ष हमला करवाता है, इससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भ्रमित होकर स्वस्थ ऊतकों को भी नुकसान पहुंचाने लगती है। वैज्ञानिकों ने देखा कि वायरस का एनपी प्रोटीन न केवल वायरल आरएनए को पैक करता है, बल्कि स्वस्थ इपिथिलियल कोशिकाओं की सतह पर भी चिपक जाता है। जब यह होता है, तब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इस प्रोटीन को विदेशी तत्व मानकर स्वस्थ कोशिकाओं पर भी हमला शुरू कर देती है। प्रयोगशाला में तैयार कोशिकाओं पर एनपी प्रोटीन का प्रभाव देखा गया। उन्नत इमेजिंग तकनीक की मदद से यह स्पष्ट किया कि एनपी किस तरह स्वस्थ कोशिकाओं पर टिकता है। शोध में सामने आया कि एक विशेष अणु से जुड़कर एनपी स्वस्थ कोशिकाओं की सतह पर स्थिर हो जाता है, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली भ्रमित होकर गलत प्रतिक्रिया देती है। अध्ययन में सामने आया हैं कि ‘एनोक्सापारिन’ नामक दवा, जो आमतौर पर खून पतला करने के लिए इस्तेमाल होती है, इस गैर-जरूरी जुड़ाव को रोकने में सक्षम है। यह दवा हेपरिन का एक संशोधित रूप है। परीक्षणों में सामने आया कि एनोक्सापारिन प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित करके स्वस्थ कोशिकाओं को सुरक्षित रखने में मदद कर सकती है। हालांकि इसके लिए व्यापक क्लिनिकल ट्रायल की आवश्यकता होगी। इस शोध के सामने आने के बीच कोविड-19 का एक नया वैरिएंट एनबी 1.8.1 भी चर्चा में है, जो ओमिक्रॉन परिवार से जुड़ा है। जनवरी 2025 में पहली बार सामने आए इस वैरिएंट के भारत, अमेरिका, यूके, चीन, ऑस्ट्रेलिया और मालदीव सहित कई देशों में मामले पाए गए हैं। आशीष/ईएमएस 14 जून 2025