14-Jun-2025
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वाशिंगटन (ईएमएस)। समय पर सोने और जागने से व्यक्ति न केवल तरोताजा महसूस करता है, बल्कि वह लंबे समय तक गंभीर बीमारियों से भी बच सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारे शरीर में एक प्राकृतिक घड़ी होती है, जिसे ‘सर्केडियन रिदम’ कहा जाता है। यह घड़ी सूरज की रोशनी के साथ तालमेल बनाकर शरीर को जागने और सोने का संकेत देती है। जैसे ही सूरज ढलता है, शरीर में मेलाटोनिन नामक हार्मोन सक्रिय हो जाता है, जो नींद लाने में मदद करता है। अगर इस संकेत की अनदेखी कर देर रात तक जागा जाए तो यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है, जिससे नींद की गुणवत्ता और स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है। विशेषज्ञों के अनुसार रात 10 बजे से पहले सो जाना सबसे बेहतर माना जाता है, क्योंकि यही वह समय है जब शरीर और मस्तिष्क दोनों विश्राम की स्थिति में आने लगते हैं। खबरों के मुताबिक, एक स्वस्थ वयस्क को हर रात कम से कम 7 से 9 घंटे की नींद लेनी चाहिए। रात 10 बजे तक सोने से शरीर की प्राकृतिक प्रक्रियाएं, जैसे मेलाटोनिन और ग्रोथ हार्मोन का स्त्राव, समय पर शुरू होता है। खासतौर पर रात 10 बजे से 2 बजे के बीच का समय शरीर की मरम्मत और मांसपेशियों की रिकवरी के लिए सबसे अहम होता है। अगर कोई व्यक्ति देर रात तक जागता है, तो शरीर की हीलिंग प्रक्रिया प्रभावित होती है, जिससे थकान, चिड़चिड़ापन और रोगों से लड़ने की क्षमता में कमी आ सकती है। ऐसे लोगों में मानसिक तनाव, नींद की कमी, एकाग्रता में गिरावट और भावनात्मक असंतुलन जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। लगातार नींद की अनियमितता से मोटापा, मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। नींद की जरूरत हर उम्र में अलग होती है। बच्चों और किशोरों को वयस्कों की तुलना में ज्यादा नींद की आवश्यकता होती है। 6 से 13 वर्ष के बच्चों को रात 8 से 9 बजे तक सो जाना चाहिए और उन्हें करीब 9 से 11 घंटे की नींद चाहिए। वहीं वयस्कों को रात 10 बजे तक सोना चाहिए और 7 से 9 घंटे की नींद लेनी चाहिए। बुजुर्गों को भी कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद जरूरी होती है। बेहतर नींद के लिए कुछ आसान आदतें अपनाई जा सकती हैं, जैसे सोने से कम से कम एक घंटे पहले स्क्रीन टाइम बंद करना, हल्का और जल्दी रात का खाना लेना, और कमरे को शांत, अंधेरा और ठंडा रखना। साथ ही हर दिन एक तय समय पर सोने और जागने की आदत बनाना भी बेहद जरूरी है। इन सरल लेकिन प्रभावशाली आदतों से न सिर्फ नींद की गुणवत्ता सुधरती है, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में भी बड़ा सुधार देखा जा सकता है। बता दें कि स्वस्थ जीवन के लिए सिर्फ अच्छी डाइट और एक्सरसाइज ही काफी नहीं, बल्कि नींद का सही रूटीन भी उतना ही जरूरी है। सुदामा/ईएमएस 14 जून 2025