नई दिल्ली (ईएमएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने जेल में कैदियों के दो गुटों के बीच झगड़े में मारे गए एक व्यक्ति के परिजनों को मुआवजा देने का आदेश देते हुए कहा कि यह राज्य की जिम्मेदारी है कि वह अपनी हिरासत में कैदियों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करे। कोर्ट ने यह भी कहा कि जेलों में गिरोहों को पनपने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा, राज्य का कर्तव्य है कि वह आम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करे, जिसमें जेल में बंद व्यक्ति भी शामिल हैं, और हिरासत में अप्राकृतिक मौतों के मामलों में मुआवजा देना भी उसकी जिम्मेदारी है। जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर ने दिल्ली स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी (डीएसएलएसए) को मृतक जावेद के परिजनों को 3 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया, जिसमें से 1 लाख रुपये पहले उसकी मां (अब मृतक) को दिए जा चुके थे। कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों के तर्क के अनुसार, दो प्रतिद्वंद्वी गिरोहों ने झगड़ा करने का फैसला किया और पीड़ित ने इसमें भाग लिया, यह तथ्य कैदियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के अपने कर्तव्य को पूरा करने के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी से उन्हें मुक्त नहीं करता। कोर्ट का मानना था कि राज्य के कर्तव्यों का एक हिस्सा यह सुनिश्चित करना है कि ऐसे गिरोहों को जेलों में पनपने की अनुमति न दी जाए। अजीत झा /देवेन्द्र/नई दिल्ली/ईएमएस/14/जून/2025