तेल अवीव,(ईएमएस)। इजरायल ने ईरान पर जोरदार अटैक किया। एक साथ ईरान के कई सैन्य ठिकानों पर मिसाइल व ड्रोन हमले किए गए। इजरायल का कहना है कि ये उसके अस्तित्व की लड़ाई है, क्योंकि ईरान उसके खिलाफ परमाणु हथियार बनाने की मुहिम में लगा हुआ है। इजरायल का दावा है कि इस बात के ठोस सबूत सात साल पहले ईरान के अंदर एक गुप्त ऑपरेशन के दौरान हाथ लगे परमाणु दस्तावेज में मिले थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी 2018 में एक रात मोसाद के एजेंट तेहरान के बाहरी इलाके में एक गुप्त गोदाम में घुसे थे। जबकि उनके कमांडर दूर से सारी गतिविधियों पर नजर रखे हुए थे। ऑपरेशन से जुड़े एक शख्स के अनुसार, एजेंटों को एक अप्रत्याशित समस्या का सामना करना पड़ा। बड़े कमरे में 32 विशाल ईरानी तिजोरियां थीं। इसमें से प्रत्येक की ऊंचाई 2.7 मीटर थी। तिजोरियों को भारी कंटेनर जैसे उपकरणों पर रखा गया था, जो पहियों पर लगे थे और भारी वजन उठा सकते थे। इन तिजोरियों में ही ईरान के परमाणु दस्तावेज छिपाकर रखे गए थे। गोदाम में ही ईरानी रक्षा मंत्रालय ने इस्लामी रिपब्लिक के सबसे बड़े रहस्यों में से एक को रखने का फैसला किया था। वास्तव में, ईरान में केवल मुट्ठी भर लोगों को ही पता था कि ईरानी परमाणु कार्यक्रम से जुड़े सारे दस्तावेज राजधानी के एक शांत उपनगर के बीचोबीच मौजूद गोदाम के अंदर था। लेकिन लंबे समय तक यह रहस्य नहीं रहा। क्योंकि कई सालों से ईरान में सक्रिय मोसाद के एजेंट हर एक चीज से वाकिफ हो गए थे। वर्षों से ईरान में सक्रिय मोसाद एजेंट अलार्म सिस्टम को निष्क्रिय करना और लोहे के दरवाज़ों को तोड़ना जानते थे। वे जानते थे कि उनके पास सभी तिजोरियों को तोड़ने का समय नहीं था। उन्हें 32 में से सिर्फ 10 तिजोरियों को तोड़ना था और तीन प्रकार के फ़ोल्डरों की तलाश करनी थी। ये तीन अलग-अलग फोल्डर में अलग-अलग ईरानी न्यूक्लियर प्रोग्राम से जुड़ी सूचनाएं थीं। एक फोल्डर में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के साथ ईरान का पत्राचार था। दूसरा, जिसमें परमाणु स्थलों के निर्माण और परमाणु उपकरणों के अधिग्रहण का विवरण था। और तीसरा सबसे महत्वपूर्ण फोल्डर, जिसमें परमाणु वारहेड के डिजाइन और उत्पादन का विवरण था। तिजोरियों से भरे कमरे के अंदर, एजेंटों को इन तीन तरह के फोल्डरों के अलावा कुछ और भी मिला। उन्हें वहां सीडी के ढेर मिले। भारी मात्रा में डीवीडी और कंप्यूटर डिस्क, जिसमें से अधिकांश पर कोई चिह्न नहीं था। तब एजेंटों को कमांड रूम से एक स्पष्ट आदेश मिला कि सीडी सहित सब कुछ ले लो। सुबह पांच बजकर एक मिनट पर सभी एजेंट गोदाम से निकल गए। अंत में, सीडी के अप्रत्याशित ढेर के बावजूद, ईरान से सारी सामग्री निकाल ली गई और कोई भी पकड़ा नहीं गया। मोसाद एजेंट्स ने जो दस्तावेज उड़ाए उसमें 114 फोल्डर शामिल थे। इसमें 55,000 से अधिक पन्ने थे। इसमें से 8,500 हस्तलिखित दस्तावेज थे। इनमें से कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों द्वारा लिखे गए थे और कुछ परमाणु कर्मियों द्वारा लिखे गए थे, जो मोसाद के अभियानों में मारे गए थे। कुछ सप्ताह बाद, जब सामग्री इजराइल पहुंची, तब दर्जनों अनुवादकों, विशेषज्ञों और विश्लेषकों ने इजराइल के सैन्य खुफिया निदेशालय यूनिट 8200 फारसी भाषी लोगों की सहायता से सामग्री के ढेर को खंगालना शुरू किया। तब यह स्पष्ट हो गया कि सब कुछ जोखिम में डालकर सीडी लेने का निर्णय कितना महत्वपूर्ण था। दो दशकों तक ईरान ने सैन्य परमाणु कार्यक्रम होने से इंकार किया था, लेकिन तिजोरियों में रखी सामग्री ने एक अलग कहानी बता रही थी। वर्षों से ईरान एक गुप्त परमाणु परियोजना में लगा हुआ है जिसका उद्देश्य 10 किलोटन की क्षमता वाले पांच परमाणु बम बनाना है और यह केवल पहला चरण था। ईरान को जब सेंधमारी का पता चला, तब करीब 12,000 ईरानी सुरक्षाकर्मी यह पता लगाने के लिए खोजबीन में लग गए कि उनकी नाक के नीचे से परमाणु दस्तावेज किसने चुराए। ईरानियों को केवल यह अनुमान था कि इस डकैती के पीछे कौन था। जब तब 30 अप्रैल को प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसका खुलासा नहीं किया। आशीष दुबे / 14 जून 2025