नई दिल्ली,(ईएमएस)। दिल्ली की एक अदालत ने 22 साल बाद एक व्यक्ति को रिहा कर दिया, जिसे ऑस्ट्रेलिया में 2003 में हुई एक हत्या के मामले में गलत पहचान के आधार पर गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने फॉरेंसिक रिपोर्ट में फिंगरप्रिंट मेल न होने को अहम साक्ष्य मानते हुए यह फैसला सुनाया। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रणव जोशी की अदालत ने 37 वर्षीय मोहम्मद बशीरुद्दीन को दोषमुक्त करार दिया। अदालत ने कहा कि आरोपी की गिरफ्तारी फरार अपराधी की गलत पहचान के कारण हुई थी, जबकि दोनों के फिंगरप्रिंट मेल नहीं खाते। सीएफएसएल (केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला) की रिपोर्ट सीलबंद पैकेट में अदालत में प्रस्तुत की गई, जिसे सुनवाई के दौरान खोला गया। रिपोर्ट के अनुसार, मोहम्मद बशीरुद्दीन के फिंगरप्रिंट उस अपराधी से मेल नहीं खाते जिसकी तलाश ऑस्ट्रेलियाई एजेंसियां कर रही थीं। 2003 में हुई थी गिरफ्तारी बशीरुद्दीन को 2003 में दिल्ली पुलिस ने इंटरपोल के रेड कॉर्नर नोटिस के आधार पर गिरफ्तार किया था। तब से वह कई कानूनी पेचीदगियों और जांच प्रक्रियाओं से गुजरता रहा, लेकिन अब जाकर कोर्ट ने उसे निर्दोष मानते हुए रिहा करने के आदेश दिए हैं। हिदायत/ईएमएस 14जून25