15-Jun-2025
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वॉशिंगटन(ईएमएस)।मिडिल ईस्ट क्षेत्र में हालात तनावपूर्ण हो गए हैं और इस संघर्ष के पूर्ण युद्ध में बदलने की आशंका बढ़ गई है। अमेरिका की इसमें संभावित भूमिका को लेकर भी चर्चा तेज हो गई है। इजरायल और ईरान के बीच यह टकराव कोई नया नहीं है, लेकिन अब हालात निर्णायक मोड़ पर पहुंचते दिख रहे हैं। ईरान की सैन्य ताकत के मामले में संख्या में बढ़त साफ नजर आती है। उसकी आबादी 8.8 करोड़ और जमीन का दायरा 1.6 मिलियन वर्ग किलोमीटर है, जबकि इजरायल की आबादी सिर्फ 90 लाख है और उसका भू-क्षेत्र भी सीमित है। फिलहाल दोनों देशों की ओर से हमले और जवाबी हमले की तैयारी चल रही है। ईरान ने पहले भी इजरायल पर सैकड़ों मिसाइलें दागी थीं, जिससे सीमित नुकसान हुआ था। अब इस संघर्ष के और भी व्यापक रूप लेने की संभावना है, जिससे पूरा मिडिल ईस्ट एक बार फिर हिंसा की चपेट में आ सकता है। ईरान के पास लगभग 600,000 सैनिक और 200,000 क्रांतिकारी गार्ड्स हैं। हालांकि, ईरान का सैन्य उपकरण पुराना है, जिसमें सोवियत और 1979 की क्रांति से पहले अमेरिका से प्राप्त हथियार शामिल हैं। रूस ने भी हाल के वर्षों में कुछ सहायता दी है। वायु सेना में ईरान के पास लगभग 350 विमान हैं, लेकिन वे तकनीकी रूप से पिछड़े हैं। हालांकि, ड्रोन उत्पादन में वह सक्षम है, जैसा कि उसने रूस को दिए शाहद ड्रोन्स के जरिये साबित किया है। दूसरी ओर, इजरायल की सैन्य क्षमता तकनीकी और रणनीतिक दोनों ही स्तरों पर काफी उन्नत है। उसके पास 170,000 सक्रिय और 400,000 रिजर्व सैनिक हैं। वायु शक्ति के लिहाज से उसके पास 612 आधुनिक विमान हैं, जिनमें 241 फाइटर जेट और 146 हेलीकॉप्टर शामिल हैं। जमीन पर भी इजरायल की ताकत मजबूत है 1,370 टैंक, 43,407 बख्तरबंद वाहन, और अत्याधुनिक तोपखाने सिस्टम उसके पास हैं। इसके अलावा, अमेरिका और यूरोपीय समर्थन उसकी सैन्य शक्ति को और बढ़ाता है। वीरेंद्र/ईएमएस 15 जून 2025