18-Jun-2025
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प्रपंच से बेहतर होता कि दुकानों में लगवा देते एमआरपी की रेट लिस्ट जबलपुर, (ईएमएस)। जिला प्रशासन द्वारा पिछले दिनों शराब की ओवर रेटिंग के खिलाफ आरआई पटवारियों से कराई गए स्टिंग ऑपरेशन के बाद अन्य तरीकों से भी एमआरपी रेट पर ही शराब की बिक्री के लिए अन्य प्रयास किए जा रहे है लेकिन आबकारी विभाग नहीं चाहता कि शराब की ओवररेटिंग बंद हो| शराब सिंडीकेट के एहसान तले दबे आबकारी विभाग द्वारा शराब दुकान में लगाए गए क्यूआर कोड अब सवालों के घेरे में है| इससे तो अच्छा होता कि शराब के दामों की लिस्ट शराब दुकानों में चस्पा करा दी जाती| दरअसल आबकारी विभाग में पदस्थ जिले के शीर्ष अधिकारी से लेकर अधीनस्थ तक एमआरपी पर जिले में शराब न बिक पाए इसके लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। शहर के सुराप्रेमियों ने यह आरोप लगाते हुए कहा कि शराब दुकानों में क्यूआर कोड सिस्टम इसी तरह का प्रयास समझ में आ रहा हैं। सुराप्रेमियो द्वारा इसे आबकारी विभाग का नया प्रपंच बताया जा रहा हैं। सुराप्रेमियों का आरोप हैं कि ऐसा ही एक प्रपंच इन दिनों जिले की शराब दुकानों में नजर आ रहा है। शराब दुकानों में ओवर रेटिंग को रोकने के लिए अब विभाग के द्वारा क्यूआर कोड लगवाए जा रहे हैं। विभाग की यह कवायद सुविधा कम असुविधा ज्यादा नजर आती है। इस कवायद के पीछे आबकारी विभाग का मानना है कि इससे शराब की ओवर रेटिंग पर प्रभावी अंकुश लगेगा। बताया जा रहा हैं कि दुकानदार शराब की ज्यादा या कम कीमत न ले सकें, इसलिए अब दुकानों पर क्यूआर कोड लगाए गए हैं, जिसे स्कैन करने बाद आप शराब की कीमत जान सकेंगें, लेकिन इस कीमत को जानने के लिए इतने विकल्प चुनना पड़ेंगे कि शराब की बोतल खरीदने से पहले ही सुराप्रेमियों के नशे उड़ जाएंगे। क्योंकि क्यूआर कोड स्कैन करने के लिए जहां कई सुराप्रेमियों के पास जहां एंड्राइड फोन ही नहीं होते और जिनके पास होते हैं उन्हें भी क्यूआर कोड स्कैन करने के बाद दिए जाने वाले विकल्प की पहेली होश उड़ा देती हैं। लिहाजा सुराप्रेमी शराब दुकानदार से कहने विवश हो जाते हैं कि जिस रेट पर भी मिले वे लेने तैयार हैं। सफल नहीं हो पा रही नई व्यवस्था........... विभागीय सूत्रों के अनुसार आबकारी विभाग ने जो क्यूआर कोड तैयार किया है, जिसे हर शराब दुकान पर लगाना जरूरी है उससे शराब की कीमत पता करना आसान नहीं है। इसके लिए सबसे पहले तो आपके पास स्मार्टफोन, उसमें इंटरनेट कनेक्शन और साथ में अंग्रेजी का ज्ञान होना सबसे ज्यादा जरूरी है। इसके बाद जब आप क्यूआर कोड को स्कैन करते हैं तो ई आबकारी. एमपी.जीओवी. ईन का पेज खुलता है। इसमें सबसे पहले खुलते ही आपको मटेरियल ग्रुप में सिलेक्ट करना है कि आपको कौन सी शराब चाहिए, जैसे देशी, विदेशी या बियर। इसके बाद अगर आपने विदेशी चुना तो 12 विकल्प आ जाएंगे, जिसमें ब्रांडी, जिन, रम, वोदका, व्हिस्की और वाइन जैसे कई नाम शामिल हैं। इसके बाद आप जो भी कैटेगरी चुनते हैं उसमें उपलब्ध सभी शराब के नाम आ जाएंगे। इसमें आपको अपनी पसंदीदा शराब को चुनना है। तब जाकर आपको उसके मिनिएचर (90 एमएल), क्वार्टर (180 एमएल), हाफ (375 एमएल) और बॉटल (750 एमएल) की कीमत की सूची नजर आएगी। शराब से नशा करने के बजाए इतनी लंबी प्रक्रिया पहले से नशा उतारने से कम नहीं है। शराब का शौक रखने वालों में पढे-लिखों से लेकर मजदूर, रिक्शा चालक, हाथ ठेला वाले जैसे अनपढ़ और कम पढ़े लोग भी शामिल है ऐसे में बेहतर यही होगा कि यदि शराब दुकानों में बड़ी-बड़ी अक्षरों में हिंदी में केवल मूल्य सूची लगवा दी जाए तो वही काफी होता। सरल बनाने के चक्कर में बना दिया कठिन....... सुरा प्रेमियों का आरोप हैं कि विद्वान बनने के चक्कर में आबकारी विभाग की यह व्यवस्था शराब की कीमत पता करने को और जटिल बना रही है। आबकारी विभाग द्वारा जारी किए गए कोड को स्कैन करने पर एक पेज खुलता हैं, जहां कई विकल्पों का चयन करने के बाद शराब की एमआरपी (मैक्सिमम रिटेल प्राइस) और एमएसपी (मिनिमम सेलिंग प्राइस) पता चल सकेगी। यह व्यवस्था लागू होते ही सवालों के घेरे में है, क्योंकि पहले से शराब दुकानदारों को दुकानों में शराब की रेट लिस्ट लगाने के निर्देश हैं। साथ ही शासन के पैकेजिंग नियम के तहत बॉटलों पर एमआरपी और एमएसपी लिखना पहले से ही अनिवार्य है, जिसका पूरी तरह पालन भी हो रहा है। ऐसी स्थिति में कीमत पता करने के लिए इतने प्रपंच करने के बजाए बॉटल उठाकर सिर्फ कीमत देखना कहीं ज्यादा आसान हैं। दुकानदार अगर कीमत कम या ज्यादा ले रहा है तो बॉटल दिखाकर ही उस पर आपत्ति ली जा सकती है और इसी आधार पर उसकी शिकायत भी की जा सकती है। ऐसी स्थिति में क्यूआर कोड व्यवस्था सिर्फ पहेलियां बुझाने से ज्यादा कुछ नहीं है। सुनील साहू / मोनिका / 18 जून 2025/ 6.00