राज्य
19-Jun-2025


- वोट बैंक को लेकर महाराष्ट्र में हिंदी का विवाद और भड़कने की संभावना मुंबई, (ईएमएस)। भले ही महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर सियासत गरमाया हुआ है लेकिन हकीकत ये है कि मुंबई में मराठी स्कूल बंद हो रहे हैं। लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। राजनेताओं से लेकर आम लोग अपने बच्चों को निजी और अंग्रेजी माध्यम वाले स्कूलों में दाखिला दिलवाते हैं लेकिन हिंदी और मराठी भाषा को लेकर राजनीति करने से नहीं चूकते। आंकड़ों को देखें तो बीते 13 सालों में मुंबई महानगरपालिका के 131 मराठी स्कूल बंद हो चुके हैं। वहीं मराठी माध्यम के छात्रों की संख्या में 45 प्रतिशत की कमी आई है। यह आंकड़ा मराठी के बारे में सोचने पर मजबूर करता है। मुंबई महाराष्ट्र की राजधानी है, लेकिन कुछ राजनेता हमेशा इस बात पर जोर देते हैं कि मुंबई में मराठी बोली जानी चाहिए। और इसमें कोई शक नहीं है कि इसे खत्म नहीं होना चाहिए। लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है वो ये कि मुंबई में मराठी स्कूलों का प्रतिशत घट रहा है, वहीं 13 सालों में महानगरपालिका के 131 मराठी स्कूल बंद होने की हकीकत सामने आई है। इस बीच मराठी स्कूलों में छात्रों की संख्या में 45 प्रतिशत की कमी आई है। न केवल छात्रों की संख्या, बल्कि इन स्कूलों में शिक्षकों की संख्या में भी कमी आई है। मराठी स्कूल बंद हो रहे हैं क्योंकि माता-पिता अंग्रेजी स्कूलों का विकल्प चुन रहे हैं। जो राजनेता मराठी भाषा की बात करते हैं वो भी अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूलों में ही पढ़ा रहे हैं। बात करें मुंबई में मराठी माध्यम के स्कूलों की तो 2012-13 में मुंबई में मराठी माध्यम स्कूलों की संख्या 385 थी। जबकि छात्रों की संख्या 81 हजार 216 और शिक्षकों की संख्या 3 हजार 873 थी। लेकिन 2013-14 में स्कूलों की संख्या घटकर 375 रह गई। जबकि छात्रों की संख्या 69 हजार 330 तक पहुंच गई। वहीं शिक्षकों की संख्या 3 हजार 377 तक पहुंच गई। मराठी भाषा को शास्त्रीय दर्जा दिया गया है। मराठी एक महान सांस्कृतिक विरासत वाली भाषा है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे एक बार फिर हिंदी अनिवार्य करने पर हमलावर हो गए हैं। राज ठाकरे ने पहली कक्षा से हिंदी पढ़ाने का कड़ा विरोध किया है। राज ठाकरे ने सरकार को चेतावनी भी दी है कि हम देखेंगे कि महाराष्ट्र में हिंदी कैसे पढ़ाई जाती है। राज ठाकरे ने कहा है कि पहली कक्षा से हिंदी पढ़ाने की कोई जरूरत नहीं है। राज ठाकरे की चेतावनी के बाद सरकार ने भी पलटवार किया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राज्य में हिंदी अनिवार्य नहीं है और छात्रों को कोई भी भाषा सीखने का विकल्प दिया गया है। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि जीआर में हिंदी अनिवार्य नहीं है। हिंदी एक वैकल्पिक भाषा है। छात्रों के पास हिंदी के अलावा कोई भी अन्य भाषा सीखने का विकल्प होगा। दूसरी ओर, मनसे ने रुख अपनाया है कि पहली कक्षा से हिंदी विषय नहीं है। राज ठाकरे ने चेतावनी दी है कि दुकानों और स्कूलों में हिंदी की किताबें नहीं बेची जाएंगी। राज ठाकरे के हिंदी के खिलाफ रुख के बाद राज्य सरकार क्या फैसला लेगी? इस पर अब सबका ध्यान है। राज्य सरकार ने कहा है कि हिंदी अनिवार्य नहीं है। लेकिन मनसे बिना वजह इस बात को लेकर हंगामा कर रही है। हालांकि सूत्रों का ये कहना है कि राज ठाकरे मराठी वोट बैंक को देखते हुए शुरू से ही हिंदी का विरोध करते आ रहे हैं और शायद ये उनकी राजनीतिक मजबूरी भी है। इसलिए, हिंदी का यह विवाद महाराष्ट्र में और भड़कने की संभावना है। स्वेता/संतोष झा- १९ जून/२०२५/ईएमएस