अंतर्राष्ट्रीय
19-Jun-2025


चैंबर ऑफ इंटरनेशनल लॉयर्स के कार्यक्रम में सीजेआई ने कहा मिलान,(ईएमएस)। भारत के प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई ने कहा है कि समाज के बड़े हिस्से को हाशिए पर रखने वाली असमानताओं पर ध्यान दिए बिना कोई भी देश प्रगतिशील या लोकतांत्रिक नहीं हो सकता। उन्होंने कहा है कि समाज में स्थिरता, सामंजस्य और सतत विकास करने के लिए सामाजिक-आर्थिक न्याय सबसे अहम रोल निभाता है। आमंत्रण के लिए चैंबर ऑफ इंटरनेशनल लॉयर्स को धन्यवाद देकर न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि सामाजिक-आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में बीते 75 सालों में भारतीय संविधान की यात्रा महान रही है। जस्टिस गवई ने कहा, ‘‘भारत के प्रधान न्यायाधीश के रूप में, मुझे यह कह कर गर्व हो रहा है कि भारतीय संविधान के निर्माता इसके प्रावधानों का मसौदा तैयार करते समय सामाजिक-आर्थिक न्याय की अनिवार्यता को लेकर सक्रिय थे। संविधान को औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता के लिए एक लंबे और कठिन संघर्ष के बाद तैयार किया गया था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं हमेशा कहता आया हूं और मैं आज यहां फिर दोहराता हूं कि समावेश और परिवर्तन के इस संवैधानिक दृष्टिकोण के कारण ही मैं भारतीय प्रधान न्यायाधीश के रूप में आपके सामने खड़ा हूं। ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रहने वाली पृष्ठभूमि से आने के बाद, मैं उन्हीं संवैधानिक आदर्शों का उत्पाद हूं, जो अवसरों को लोकतांत्रिक बनाने और जाति की बेड़ियों को तोड़ने की मांग करते हैं।’’ सीजेआई गवई ने कहा, ‘‘समाज के बड़े हिस्से को हाशिए पर रखने वाली संरचनात्मक असमानताओं पर ध्यान दिए बिना कोई भी राष्ट्र वास्तव में प्रगतिशील या लोकतांत्रिक होने का दावा नहीं कर सकता। सीजेआई ने कहा कि यह सिर्फ पुनर्वितरण या कल्याण का मामला नहीं है, बल्कि यह हर व्यक्ति को सम्मान के साथ जीने, उसकी पूरी मानवीय क्षमता का एहसास कराने और देश के सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक जीवन में समान रूप से भाग लेने में सक्षम बनाने के बारे में भी है। उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रकार, किसी भी देश के लिए, सामाजिक-आर्थिक न्याय राष्ट्रीय प्रगति का एक महत्वपूर्ण पहलू है। आशीष दुबे / 19 जून 2025