लंदन,(ईएमएस)। स्विट्जरलैंड के आल्प्स पहाड़ों में हमेशा जमी रहने वाली बर्फ में इतिहास का अभी तक का सबसे गर्म तापमान दर्ज हुआ है। जानकारों का मानना है कि मई में हुई ब्लाटेन गांव की बर्बादी में ये शामिल है। पर्माफ्रॉस्ट सतह के नीचे मौजूद वहां मिट्टी होती है जो दो साल या उससे ज्यादा समय के लिए जमने वाले तापमान पर रहती है। पर्माफ्रॉस्ट जब पिघलती है, तब इसकी वजह से भूस्खलन या बड़े पत्थरों के गिरने जैसी घटनाएं हो सकती हैं। धरती जैसे जैसे गर्म होती जा रही है, वैसे वैसे पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने की दर बढ़ रही है। नए अध्ययन के मुताबिक, स्विस आल्प्स की पर्माफ्रॉस्ट 2024 के वार्षिक जलचक्र में जितनी गर्म थी उतनी उससे पहले कभी नहीं रही। वार्षिक जलचक्र 12 महीनों की अवधि को कहते हैं जिसका इस्तेमाल जलविज्ञानी पानी संबंधित घटनाओं को ट्रैक करने के लिए होता हैं। 2024 का वार्षिक जलचक्र एक अक्टूबर 2023 से 30 सितंबर 2024 के बीच था। एकेडमी ने कहा, बीते एक दशक (2014-2025) में, पर्माफ्रॉस्ट का तापमान अध्ययन में शामिल 23 स्थानों पर अमूमन बढ़ता रहा है। 10 मीटर की गहराई पर यह बदलाव 0.8 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा था, जिसकी वजह से 2024 में तापमान के नए रिकॉर्ड बनेतापमान में हुई इस बढ़ोतरी को 2023 के पतझड़ में ऊंचे स्थानों पर बर्फ के जल्दी गिरने से भी बल मिला। बर्फ के जल्दी गिरने से जमीन में गर्मी फंस गई। स्विट्जरलैंड में तापमान को मापना 1864 में शुरू किया गया था। तब से लेकर अब तक 2022, 2023 और 2024 के वार्षिक जलचक्र पांच सबसे गर्म साल रहे । इन सालों में हवा का तापमान 1991-2020 के औसत तापमान से 1.4 से 1.9 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा। स्विट्जरलैंड ग्लोबल वॉर्मिंग से विशेष रूप से प्रभावित है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में जमीन के पास हवा का औसत तापमान 1871-1900 तक के औद्योगिक काल से पहले के औसत से करीब 2.9 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है। वैश्विक औसत 1.3 डिग्री सेल्सियस है। कम हो रही है बर्फआल्प्स में 25 सालों तक लगातार निगरानी रखने से नजर आ रहा है कि पर्माफ्रॉस्ट काफी गर्म हो गई है और साथ ही जमीन में बर्फ की मात्रा भी कम हो गई है। एकेडमी ने कहा, ये बदलाव आने वाले सालों और दशकों में जारी रहेगा। सबसे ऊपर के 10 मीटर तक पर्माफ्रॉस्ट का गर्म होना और गहराई तक जाएगाजिन स्थानों पर नजर रखी जाती है उनमें से लगभग सभी स्थानों पर देखा गया है कि बीते दो दशकों में सक्रिय परत की गहराई कई मीटर तक बढ़ गई है। आशीष/ईएमएस 20 जून 2025