अंतर्राष्ट्रीय
20-Jun-2025
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कैलिफोर्निया (ईएमएस)। कोविड वैक्सीन न केवल संक्रमण से सुरक्षा देती है, बल्कि गंभीर बीमारियों से भी बचाव कर सकती है। यह खुलासा हुआ है यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया-लॉस एंजिल्स (यूसीएलए) की एक नई रिसर्च में। शोध की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, जिन मरीजों को कोविड के दौरान एक्यूट किडनी इंजरी (एकेआई) हुई और उन्हें पहले से वैक्सीन लगी थी, उनकी हालत बिना वैक्सीन वाले मरीजों की तुलना में बेहतर रही। रिसर्च के मुताबिक, टीका लगवा चुके मरीजों को अस्पताल से छुट्टी के बाद डायलिसिस की जरूरत कम पड़ी और उनकी जान बचने की संभावना ज्यादा रही। शोधकर्ताओं ने बताया कि कोरोना संक्रमित करीब 46प्रतिशत मरीजों में एकेआई की संभावना होती है, जो किडनी की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती है और कई बार गंभीर स्थिति में डायलिसिस की आवश्यकता भी पड़ती है। यूसीएलए के डेविड गेफेन स्कूल ऑफ मेडिसिन की एसोसिएट प्रोफेसर और अध्ययन की प्रमुख लेखक डॉ. निलोफर नोबख्त ने कहा कि कोविड वैक्सीन गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए जीवनरक्षक साबित हो सकती है। उन्होंने लोगों को सलाह दी कि वे अपने डॉक्टर से बात करके वैक्सीनेशन के फायदों को समझें और उसे अपनाएं, ताकि डायलिसिस जैसी जटिलताओं से बचा जा सके। अध्ययन में मार्च 2020 से मार्च 2022 के बीच अस्पताल में भर्ती हुए लगभग 3,500 कोविड मरीजों का विश्लेषण किया गया, जिनमें से 972 को एकेआई हुआ था। इनमें से 411 मरीजों को कोई वैक्सीन नहीं लगी थी, जबकि 467 मरीजों को कम से कम दो डोज फाइजर या मॉडर्ना वैक्सीन की या एक डोज जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन लगी थी। परिणामों से पता चला कि बिना वैक्सीन वाले 15.8प्रतिशत मरीजों को आईसीयू में गंभीर डायलिसिस (सीआरआरटी) की जरूरत पड़ी, जबकि वैक्सीन लगे हुए सिर्फ 10.9 प्रतिशत मरीजों को यह चिकित्सा दी गई। साथ ही, अस्पताल में मृत्यु दर और छुट्टी के बाद डायलिसिस की जरूरत भी बिना वैक्सीन वालों में कहीं अधिक रही। सुदामा/ईएमएस 20 जून 2025