20-Jun-2025
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-रनवे सेफ्टी और ओएलएस जैसे बुनियादी बिंदुओं पर हो रही गंभीर चूक नई दिल्ली,(ईएमएस)। अहमदाबाद की तरह कई एयरपोर्ट बुनियादी सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के नियम, एयरपोर्ट अथॉरिटी इंडिया (एएआई) की मांगें और 2019 की इंस्पेक्शन रिपोर्ट सब मौजूद है, फिर भी हादसा हुआ। ऑब्सटेकल लिमिटेशन सरफेस (ओएलएस) के मुताबिक रनवे के आसपास स्थायी निर्माण या रिहायशी इमारत नहीं होनी चाहिए, लेकिन अहमदाबाद एयरपोर्ट इन मानकों पर खरा नहीं उतरता है। इससे साफ है कि विमान हादसा तकनीकी ही नहीं, संस्थागत और प्रशासनिक स्तर की भी विफलता थी। एएआई ने 2018 में अहमदाबाद एयरपोर्ट पर बफर जोन के लिए गुजरात सरकार से 29.79 एकड़ जमीन मांगी थी। इसकी मंजूरी भी दी गई, लेकिन जमीन मिलने की प्रक्रिया अभी तक जारी है। वजह ये है कि यहां 350 परिवारों का बसेरा है। इन्हें हटाना राजनीतिक रूप से संवेदनशील है। देश में उड़ानों और यात्रियों की संख्या बढ़ रही है लेकिन रनवे सेफ्टी, बफर जोन और ओएलएस जैसे बुनियादी बिंदुओं पर गंभीर चूक हो रही है। डीजीसीए की एअरोड्रोम इंस्पेक्टर हैंडबुक और सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट के मुताबिक हर रनवे के सिरों पर 90 से 240 मीटर तक का रनवे एंड सेफ्टी एरिया होना जरूरी है। डीजीसीए की सालाना इंस्पेक्शन रिपोर्ट्स और एयरपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का अध्ययन बताता है कि देश के कई एयरपोर्ट आरईएसए, ओएलएस या जमीन अधिग्रहण जैसे बुनियादी मापदंडों पर खरे नहीं उतरते हैं। त्रिवेंद्रम, कोयंबटूर, मैसूर और मंगलुरु जैसे शहरों में भी रनवे विस्तार या सुरक्षा जोन के लिए मांगी गई जमीन पूरी नहीं दी गई है। इसी तरह ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में रनवे विस्तार का प्रस्ताव सालों से अटका हुआ है। हिसार (हरियाणा) में उड़ानें शुरू हो चुकी हैं, लेकिन टैक्सी-वे और रनवे के पास ओएलएस से जुड़ी परेशानियां है। कुशीनगर (यूपी) में टर्मिनल के साथ अप्रोच पाथ और रनवे सुधार अधूरा है। शिमला का रनवे सिर्फ 1189 मीटर लंबा है। पहाड़ी ढलानों की वजह से न आरईएसए संभव है, न रनवे विस्तार। वहीं जैसलमेर में रनवे का सैन्य-साझा उपयोग होता है। यहां रनवे विस्तार की कोई योजना नहीं है। महाराष्ट्र में पुणे के पास प्रस्तावित पुरंदर एयरपोर्ट किसानों के विरोध के चलते 2016 से अटका हुआ है। पटना एयरपोर्ट रनवे चारों ओर से घनी आबादी, रेलवे लाइन और चिड़ियाघर से घिरा है। यहां न आरईएसए बनाया जा सकता है और न रनवे बढ़ाया जा सकता है। डीजीसीए ने मंगलवार को कहा था कि 12 से 17 जून के बीच एअर इंडिया ने बोइंग 787 की फ्लाइट्स को मिलाकर 66 उड़ानें रद्द कीं। उन्होंनने कहा कि 12 जून की घटना के बाद एअर इंडिया के बोइंग 787 सीरीज ड्रीमलाइनर की जांच की गई, जिसमें सुरक्षा को लेकर कोई बड़ी बात सामने नहीं आई। डीजीसीए ने कहा कि विमान का रखरखाव मौजूदा सिक्योरिटी नियमों के मुताबिक पाया गया है। एयर इंडिया की फ्लीट में 33 बोइंग 787- 8/9 विमान हैं। एअर इंडिया के अधिकारियों के साथ बैठक हुई। इसमें डीजीसीए ने एयरलाइन को विमान सुरक्षा पर ध्यान देने, फ्लाइट ऑपरेशन को सख्त करने और समय पर फ्लाइट डिपार्चर ये तय करने के निर्देश दिए हैं। सिराज/ईएमएस 20 जून 2025