26-Jun-2025


नई दिल्ली (ईएमएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने कनाडा सरकार को राहत देते हुए भारतीय मूल के पूर्व कनाडाई अफसर संजय मदान और उनके सहयोगियों के भारतीय बैंक खातों से करीब 65.9 करोड़ की वसूली की अनुमति दे दी है। यह रकम कनाडा में चल रहे करोड़ों के गबन के मामले से जुड़ी है। दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस मनीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने इंडसइंड बैंक और आरबीएल बैंक को निर्देश दिया कि वे फंड ट्रांसफर से पहले नो योर कस्टमर प्रक्रिया पूरी करें। इसके साथ ही कोर्ट ने संजय मदान के सभी भारतीय खातों से लेन-देन पर रोक लगा दी है, सिवाय कुछ लिमिटेड छूटों के जैसे कि कोर्ट द्वारा कहे गए धनराशि का ट्रांसफर और वैध दस्तावेजों के आधार पर कानूनी फीस का भुगतान। दिल्ली हाईकोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए संजय मदान ने इस ट्रांसफर पर सहमति जताई। उनके वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि इंडसइंड बैंक में 38 करोड़ और आरबीएल बैंक में 29 करोड़ की राशि जमा है, और मदान को फंड ट्रांसफर करने में कोई आपत्ति नहीं है। यह मामला 290 करोड़ की धोखाधड़ी से जुड़ा है, जिसमें संजय मदान जो ओंटारियो की एजुकेशन मंत्रलाय में आईटी डाइरेक्टर रह चुके हैं। लेकिन, 2011 से 2020 के बीच शेल कंपनियों और कोविड-19 राहत कार्यक्रमों का दुरुपयोग कर 47.4 मिलियन कनाडाई डॉलर की हेराफेरी करने का आरोप है। अप्रैल 2023 में उन्हें दोषी ठहराते हुए 10 साल की सजा सुनाई गई थी। उन्होंने 30 मिलियन कनाडाई डॉलर लौटाए और बाकी राशि 15 सालों में चुकाने पर सहमति जताई। यदि वह बचे हुए पैसे चुकाने में असफल रहते हैं, तो उनकी सजा छह साल और बढ़ सकती है। कनाडा सरकार ने यह रिकवरी केस भारत की दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 84 के तहत दायर किया था, जो विदेशी सरकारों को भारत में कानूनी कार्रवाई की अनुमति देता है। दिल्ली कोर्ट ने अन्य भारतीय बैंकों जैसे कि यस बैंक, कोटक महिंद्रा, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, आईडीबीआई बैंक और पंजाब नेशनल बैंक को आदेश दिया है कि वे संजय मदान और सह-आरोपी विधान मदान के खातों से जुड़ी जानकारी हलफनामे के रूप में अदालत में दाखिल करें। दोनों आरोपियों को भारत में मौजूद अपनी सारी संपत्तियों का विवरण भी देने का निर्देश दिया गया है। अजीत झा/ देवेन्द्र/नई दिल्ली/ईएमएस/26/जून/2025