राष्ट्रीय
01-Jul-2025


16700 फीट की ऊंचाई पर दुश्मन को चारों तरफ से घेरकर किया था हमला नई दिल्ली (ईएमएस)। एक जुलाई की सुबह तापमान -10 डिग्रीसेल्सियस से भी नीचे था। सर्द हवाएं शरीर के जिस हिस्‍से को छूकर गुजरतीं, ऐसा लगता सुइयां चुभ रही हों। हर बढ़ते कदम के साथ ऑक्‍सीजन भी कम हो रही थी। दुश्‍मन की मजबूत पोजीशन के चलते कोई भी चूक और मौत को दावत देने के बराबर था। उस दिन ऐसा लग रहा था, मानों पूरी कायनात पाकिस्‍तान के साथ खड़ी हो और भारतीय जांबाजों के पास कुछ भी ना बचा हो। इसके बावजूद भारतीय सेना के शूरमाओं ने एक जुलाई को कुछ ऐसा ठान रखा था, जिसकी उम्‍मीद पाकिस्‍तान और उसकी सेना कभी ख्‍वाब में भी नहीं सोच सकती थी। बता दें हम बात कर रहे हैं बेटल ऑफ टाइगर हिल की लड़ाई। 13 जून को तोलोलिंग और 21 जून को पॉइंट 5203 को भारतीय सेना ने अपने कब्‍जे में वापस ले लिया था। लेकिन सामरिक दृष्टि से महत्‍वपूर्ण टाइगर हिल, पॉइंट 4700 और 5203 अभी भी पाकिस्‍तानी सेना के कब्‍जे में थे। इन तीनों पहाडि़यों पर बैठे दुश्‍मन ने नेशनल हाईवे वन को अपने निशाने पर ले रखा था। भारतीय सेना की रसद और सैन्‍य मदद श्रीनगर में रोक दी गई थी। मदद जवानों तक पहुंच सके, इसके लिए इन चोटियों को दुश्‍मन से आजाद कराना जरूरी था। भारतीय सेना ने सबसे पहले टाइगर हिल को दुश्‍मन के कब्‍जे से आजाद कराने का फैसला किया। यह जिम्‍मेदारी भारतीय सेना की 2 नामा, 8 सिख और 18 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट को सौंपी। दोनों रेजिमेंट ने मिलकर 16700 फीट की ऊंचाई पर स्थित टाइगर हिल की चोटी पर हमला करने का फैसला किया। रणनीति के तहत 8 सिख रेजिमेंट को सामने से आर्टलरी फायर करना था। भारतीय और पाकिस्‍तान के इस युद्ध में दुश्‍मन को इस भ्रम में रखा जा सके कि भारतीय सेना सामने के ही रास्‍ते से आ रही है। वहीं दूसरी तरफ से 18 ग्रेनेडियर्स की टुकड़ी को 16700 फीट की खड़ी चढ़ाई पूरी कर टाइगर हिल तक पहुंचना था, साथ ही, पहली बार इस ऑपरेशन में भारतीय वायु सेना को भी शामिल किया गया। एक जुलाई को तड़के फ्लाइट ऑपरेशन शुरू हुआ। 2 नागा रेजिमेंट ने पहाड़ी की दाईं ओर 8 सिख ने बाईं ओर से पहाड़ी में चढ़ाई शुरू की। इसी वक्‍त, ग्रेनेडियर्स की घातक टुकड़ी ने पहाड़ी के पीछे से चढ़ाई शुरू कर दी। वहीं, टाइगर हिल पर विजय के लिए निकली भारतीय सेना के इन टुकडि़यों की मदद के लिए आर्टिलरी रेजिमेंट की 22 बैटरियों ने मल्‍टी बैरेल रॉकेट लांचर से गोले बरसाना शुरू कर दिए। आर्टि‍लरी रेजिमेंट ने लगातार 13 घंटे तक बमबारी की और इस बमबारी की आड़ में भारतीय सेना के जांबाज आगे बढ़ते हुए दुश्‍मन के काफी करीब पहुंचने में कामयाब हो गए। वहीं, 18 ग्रेनेडियर्स की घातक प्लाटून करीब 12 घंटे की चढ़ाई के बाद दुश्‍मन के करीब तक पहुंचने में कामयाब हो गई, लेकिन तभी दुश्‍मन की नजर पहाड़ी चढ़ रहे भारतीय जवानों पर पड़ गई। दुश्‍मन ने भारतीय जांबाजों पर गोलियां बरसाना शुरू कर दी। इस कठिन परिस्थितयों में भी भारतीय जांबाजों ने हिम्‍मत नहीं हारी और दुश्‍मन के करीब तक पहुंचने में कामयाब हो गए। सेना की तरफ से आखिरी निर्णायक हमला 3 जुलाई 1999 की शाम 5 बजकर 15 मिनट पर किया।भारतीय सेना और पाकिस्‍तानी दुश्‍मन के बीच भीषण युद्ध हुआ। करीब सभी विपरीत परिस्थितयों के बावजूद भारतीय सेना के जांबाज पाकिस्‍तान को पटखनी देने में कामयाब रहे। 8 जुलाई 1999 को एक बार फिर टाइगर हिल पर भारतीय तिरंगा फहराने लगा। टाइगर हिल पर भारतीय सेना को मिली जीत में ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव की भूमिका अहम रही। इस लड़ाई के लिए उन्‍हें सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। सिराज/ईएमएस 01जुलाई25 -------------------------------