इस्लामाबाद,(ईएमएस)। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था। तब से पाकिस्तान भारत से संधि को बहाल करने की गुहार लगा रहा है। पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने मंगलवार को कहा कि भारत पानी को हथियार बना रहा है। उन्होंने कहा कि भारत के इरादों के जवाब में पाकिस्तान को अपनी जल भंडारण क्षमता बढ़ानी होगी। उन्होंने भारत पर सिंधु जल संधि को एकतरफा निलंबित करने का आरोप लगाया। सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हस्ताक्षरित एक ऐतिहासिक समझौता है, जो सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों के जल बंटवारे को नियंत्रित करता है। इसके तहत, भारत को सतलज, ब्यास और रावी नदियों पर पूर्ण नियंत्रण दिया गया है, जबकि सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी मुख्य रूप से पाकिस्तान को आवंटित किया था। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने संधि को निलंबित करने की घोषणा की। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने अप्रैल में स्पष्ट किया था कि मोदी सरकार का सिंधु जल संधि पर लिया गया ऐतिहासिक निर्णय पूरी तरह से उचित और राष्ट्रीय हित में है। हम यह तय करेंगे कि सिंधु नदी का एक बूंद पानी भी पाकिस्तान को न जाए। यह बयान भारत की उस नीति को दर्शाता है, जो आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस रखती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा है कि सिंधु जल संधि अब कभी बहाल नहीं होगी। उन्होंने कहा कि पाक को जाने वाला पानी भारत के राजस्थान जैसे राज्यों की ओर मोड़ा जाएगा। शहबाज शरीफ ने कहा कि अब खुद पाकिस्तान को ही अपने जल की भंडारण क्षमता बढ़ानी होगी। उन्होंने कहा कि भारत के पास पाकिस्तान के खिलाफ कुछ नापाक इरादे हैं और वह जल संधि के खिलाफ कदम उठाना चाहता है। इसके लिए सरकार ने फैसला किया है कि हम अपना जल भंडारण बनाएंगे। उन्होंने 1991 के जल समझौते का हवाला देते हुए कहा कि इसमें प्रांतों के बीच जल भंडारण क्षमता बढ़ाने का प्रावधान है। सरकार डायमर भाशा बांध जैसे संसाधनों का उपयोग करेगी। सिराज/ईएमएस 02जुलाई25