* डॉ. जैमिनी जायसवाल (सर्जन) सुशिक्षित महिला सरपंच बनकर वास्तविक महिला सशक्तिकरण वडोदरा (ईएमएस)| जहाँ संकल्प है, वहाँ रास्ता है... - यह चरितार्थ हुआ वडोदरा जिले के सावली तालुका के एक छोटे से सुदूर गांव इंद्राड की निर्वाचित सरपंच डॉ. जैमिनी जायसवाल के जरिए। एक शिक्षित, योग्य और सेवाभावी महिला डॉ. जैमिनी जायसवाल ने स्थानीय निकाय चुनाव में सरपंच के रूप में जीत हासिल कर इतिहास रच दिया है। डॉ. जैमिनी जायसवाल एक प्रसिद्ध त्वचा रोग विशेषज्ञ और सर्जन हैं। एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे शहर में अपने अस्पताल के माध्यम से सर्जन के रूप में लोगों की सेवा कर रहे थे। दिवाली का समय था और जैमिनी अपने परिवार के साथ अपने गांव इंद्राड में लोगों से मिलने और दिवाली की मिठाइयाँ बाँटने जा रहे थे। हुआ यूं कि उन्होंने असुविधाएं देखीं। और फिर उन्हें पता चला कि उनके अपने गांव के लोग कई बुनियादी जरूरतों से वंचित हैं। आज उनके लिए अपने गृहनगर के विकास की जिम्मेदारी लेने का सुखद अवसर था। फिर, आयुष्मान मंदिर, प्राथमिक विद्यालय, पंचायत भवन और आंगनवाड़ी सहित गांव के सभी सार्वजनिक स्थानों को विकसित करने के संकल्प के साथ, जैमिनीबेन ने आगामी स्थानीय स्वशासन चुनावों में सरपंच के रूप में अपनी उम्मीदवारी दर्ज करने का फैसला किया। किस्मत से, चुनाव में उसके गांव की सरपंच सीट महिला उम्मीदवार के लिए आरक्षित हो गई। ऐसा लग रहा था जैसे ये सारी घटनाएं उसे सरपंच बनने की ओर ले जा रही थीं। चुनावों में भी गांव के लोगों ने भारी बहुमत से वोट देकर भारी जीत हासिल की है और एक पढ़ी-लिखी महिला के सरपंच बनने से ऐसा लग रहा है जैसे महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में क्रांति आ रही है। डॉ. जैमिनी जायसवाल कहती हैं, डॉक्टर के तौर पर मुझे लोगों का स्वास्थ्य सुधारने का मौका मिला, अब सरपंच के तौर पर मुझे उनके जीवन की दिशा सुधारने का मौका मिला है - यही मेरा सौभाग्य है। इसके साथ ही गांव में स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल और सड़क निर्माण पर मुख्य रूप से जोर दिया जाएगा। पेशे से त्वचा विशेषज्ञ होने के बावजूद, डॉ. जैमिनी कहती हैं कि उन्हें नेतृत्व के गुण अपने परिवार से विरासत में मिले हैं, क्योंकि उनके माता-पिता और ससुराल वाले नेतृत्व में रुचि रखते थे। मैंने कभी सरपंच बनने के बारे में नहीं सोचा था, लेकिन जब मुझे अपने समुदाय का विकास करने का अवसर मिलेगा, तो मैं इसे बखूबी करूंगी। जैमिनीबेन ने आगे कहा कि राज्य सरकार द्वारा स्थानीय स्वशासन में 50 प्रतिशत महिला आरक्षण का प्रावधान भी बहुत अप्रभावी हो रहा है। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई है कि महिलाएं शिक्षित होकर घर से बाहर निकलेंगी और नेतृत्व करेंगी। ग्रामीण क्षेत्रों में नेतृत्व की भूमिका में महिलाओं को आमतौर पर मूर्तियों की तरह दर्शाया जाता है, लेकिन डॉ. जैमिनी ने इन पारंपरिक मानदंडों को चुनौती दी। उन्होंने अपना चुनाव अभियान बहुत प्रभावी ढंग से चलाया। अपने पेशेवर अनुभव और सेवा भावना के कारण वे न केवल महिलाओं, बल्कि गांव के सभी वर्गों के मतदाताओं का विश्वास जीतने में सफल रहे। डॉ. जैमिनी जायसवाल का सरपंच बनना सिर्फ़ एक राजनीतिक जीत नहीं थी, बल्कि एक मनोवैज्ञानिक क्रांति थी। उन्होंने साबित कर दिया कि जब शिक्षित और सक्षम महिलाएँ समाज के विकास का नेतृत्व करती हैं, तो बदलाव बहुत तेज़ी से और सहज रूप से आता है। वडोदरा जिले में महिला सशक्तिकरण की नई दिशा की ओर कदम बढ़ाते हुए इंद्राद गांव आज प्रेरणा का स्रोत बनकर उभरा है। सतीश/02 जुलाई