नई दिल्ली (ईएमएस)। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव जगजाहिर है, लेकिन भारत का असली दुश्मन चीन है, जो लगातार 10 अलग-अलग मोर्चों पर भारत को चुनौती दे रहा है। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान डिप्टी आर्मी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह ने खुलासा किया कि पाकिस्तान सिर्फ एक मोहरा है, जबकि असली खेल चीन खेल रहा है। जनरल सिंह ने स्पष्ट किया कि यदि चीन ने सहायता नहीं की होती तब पाकिस्तान भारत के सामने एक दिन भी नहीं टिक पाता। लेकिन चीन पाकिस्तान को मदद कर रहा हैं,जबकि भारत को लगातार परेशान कर रहा है। अब भारतीय सेना ने चीनी मूल के कलपुर्जों के इस्तेमाल पर कड़ा रुख अपनाया है। आर्मी डिज़ाइन ब्यूरो के एडीजी मेजर जनरल सीएस मान ने साफ किया कि भविष्य में किसी भी सैन्य प्रणाली, खासकर ड्रोन सिस्टम में चीनी पुर्जों का इस्तेमाल नहीं होगा। यह कदम भारत की आंतरिक सुरक्षा में चीन की दखलअंदाजी को खत्म करने की दिशा में उठाया गया है। वहीं चीन केवल सीमाओं पर ही नहीं, बल्कि कूटनीतिक मोर्चों पर भी भारत को घेरने में लगा हुआ है। बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के सत्ता में आने के बाद चीन ने ढाका में अपना प्रभाव बढ़ाया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, यूनुस ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास एक पुराने एयरबेस को चीन को सौंपने की मंशा जाहिर की है, इससे भारत की पूर्वी सुरक्षा को खतरा हो सकता है। इस लेकर सरकार को सेना पूरी तरह से सतर्क हो गए है। 3,488 किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमा पर, खासकर लद्दाख, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में, अक्सर चीन के साथ तनाव देखा जाता है। चीन न केवल सैन्य तनाव पैदा करता है, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध निर्माण कर भारत की सुरक्षा को चुनौती दे रहा है। नेपाल और भूटान जैसे भारत के मित्र देशों की सीमाओं पर भी ड्रैगन की बुरी नजर है। चीन हमेशा भारत के पड़ोसी मुल्कों को धमकाता रहता है। हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में भी चीन अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है। चीन का जहाज शियांग यांग होंग 03 भारत के समुद्री परीक्षण क्षेत्रों के आसपास मंडरा रहा था। इसके अलावा, दक्षिण चीन सागर में सैन्य निर्माण कर चीन क्षेत्रीय वर्चस्व स्थापित करना चाहता है, जिससे भारत के रणनीतिक हित प्रभावित हो सकते हैं। इतना ही नहीं भारत और चीन के बीच बढ़ता व्यापार घाटा भी चिंता का विषय है। वित्त वर्ष 2024-25 में यह घाटा 99 अरब डॉलर तक पहुंच गया। भारत में चीनी उत्पादों की घटिया गुणवत्ता और उससे एमएसएमई को हो रहे नुकसान पर भी गंभीर चिंता जाहिर की गई है। सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, सस्ते चीनी सामान से देश की साइबर और डेटा सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है। आशीष/ईएमएस 07 जुलाई 2025