07-Jul-2025
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:: व्यंकटेश देव स्थान की रामकथा में आज राम-सीता विवाह :: इंदौर (ईएमएस)। छत्रीबाग स्थित श्री लक्ष्मी व्यंकटेश देव स्थान पर एकल श्रीहरि इंदौर चेप्टर और संस्था माहेश्वरी कुटुम्ब के संयुक्त तत्वावधान में चल रही तीन दिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन, प्रख्यात कथा व्यास साध्वी सुश्री गीता किशोरी ने प्रेरक विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि राम का नाम संपूर्ण आनंद प्रदान करने वाला है, और प्रभु श्रीराम परमानंद के सागर हैं, जो कभी नहीं सूखते। साध्वी जी ने जोर देकर कहा, राम वन नहीं जाते तो भगवान भी बन नहीं पाते। प्रभु राम कहीं और नहीं, हमारे अंदर ही विराजमान हैं। जब तक हम अंदर बैठे दुर्गुणों रूपी रावण का नाश नहीं करेंगे, तब तक हमारा मन अयोध्या नहीं बन पाएगा। उन्होंने बताया कि जहां राम होंगे, वहां रावण नहीं रह सकता, और अयोध्या तभी मोक्षदायी नगरी बनी, जब रावण का नाश हो गया। अपने मन को अहंकाररूपी रावण से मुक्त किए बिना प्रभु राम हमारे दरवाजे की चौखट पर नहीं आ सकते। जगदगुरू रामानुजाचार्य नागोरिया पीठाधिपति स्वामी विष्णु प्रपन्नाचार्य महाराज और भागवताचार्य पं. पुष्पानंदन पवन तिवारी के सानिध्य में, एकल हरि इंदौर चैप्टर के अध्यक्ष शारदा प्रकाश अजमेरा, कमल राठी, अनिल काकानी, हरीश विजयवर्गीय, डॉ. आयुषी देशमुख सहित अनेक सदस्यों ने अतिथियों का स्वागत किया। कथा के दौरान प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव भी धूमधाम से मनाया गया। साध्वी गीता किशोरी ने भगवान के जन्म से पूर्व के प्रेरक प्रसंगों का भावपूर्ण चित्रण किया, जिससे सभागृह कई बार भजनों पर झूम उठा। कल शाम को नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी कथा स्थल पहुंचकर अपने मनोहारी भजनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। संयोजक एवं अध्यक्ष प्रकाश अजमेरा ने बताया कि मंगलवार, 8 जुलाई को कथा में राम-सीता विवाह का प्रसंग और उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। यह शहर में पहली बार आयोजित हो रही तीन दिवसीय रामकथा श्रोताओं और भक्तों को खूब आनंदित कर रही है। कथा शुभारंभ के पूर्व साध्वी गीता किशोरी ने वनवासी अंचलों में किए जाने वाले सेवाकार्यों की प्रचार सामग्री का लोकार्पण भी किया। साध्वी सुश्री गीता किशोरी ने आगे कहा कि हमें नर में नारायण की दृष्टि का भाव रखना होगा, तभी हमारे दर्शन सार्थक होंगे। राम के दर्शन करने हैं तो वनवासियों के अंतर्मन में विराजित प्रभु के दर्शन करने होंगे। प्रभु श्रीराम ने अपने पूरे वनवास काल में किसी राजा, मंत्री या सेना का आश्रय न लेते हुए केवल वनवासी भाइयों को गले लगाया। उन्होंने शबरी और केवट जैसे दलित वर्ग को अपने साथ समरस बनाकर वास्तविक रामराज्य का संदेश दिया। उनके जन्म से जुड़ी कथाओं का मुख्य संदेश यही है कि भगवान होते हुए भी उन्होंने मनुष्य के रूप में अवतार लेकर तत्कालीन दलित और जंगल के दैत्य वर्ग का उद्धार किया। प्रकाश/7 जुलाई 2025