राज्य
09-Jul-2025
...


नई दिल्ली (ईएमएस)। दिल्ली में एक ऐसा पुराना महल है, जिसे भूतिया माना जाता है। कहा जाता है कि यहां आज भी किसी के रोने की आवाजें सुनाई देती हैं। यहां सूर्यास्त के बाद किसी के भी जाने पर रोक है। दिल्ली के करोल बाग के पास सेंट्रल रिज रिजर्व फॉरेस्ट में बसा भूली भटियारी का महल एक ऐसी जगह है, जो दिन में इतिहास की गवाही देता है, लेकिन रात होते ही रहस्य और डर की कहानियों का केंद्र बन जाता है। यह 14वीं शताब्दी का खंडहरनुमा किला अपनी भूतिया कहानियों के लिए मशहूर है, जिसके चलते लोग अंधेरा होने के बाद इसके आसपास भी भटकने से कतराते हैं। भूली भटियारी का महल तुगलक वंश के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक ने 14वीं शताब्दी में बनवाया था। इतिहासकारों के अनुसार, यह महल उस समय शाही शिकारगाह के रूप में इस्तेमाल होता था। लाल पत्थरों से बनी इस विशाल संरचना में दो प्रवेश द्वार, छोटे-छोटे कमरे और एक बड़ा आंगन है, जो कभी शिकारियों और शाही मेहमानों के ठहरने की जगह हुआ करता था। लेकिन समय के साथ यह महल खंडहर में तब्दील हो गया और इसके साथ जुड़ गईं रहस्यमयी कहानियां। महल के नाम और इसके भूतिया होने की कहानियां कई तरह की हैं। एक किदवंती के अनुसार, राजस्थान की भटियारी जनजाति की एक महिला भूरी इस जंगल में रास्ता भटक गई थी और यहीं रहने लगी। कुछ समय बाद उसकी मौत हो गई और तब से उसकी आत्मा इस महल में भटकती है। दूसरी किदवंती तुगलक वंश के एक राजा और उसकी रानी से जुड़ी है। कहा जाता है कि राजा ने अपनी रानी को बेवफाई के आरोप में इस महल में छोड़ दिया, जहां उसने भटकते-भटकते दम तोड़ दिया। स्थानीय लोगों का मानना है कि उस रानी की आत्मा आज भी यहां बदला लेने के लिए भटकती है। अजीत झा /देवेन्द्र/नई दिल्ली/ईएमएस/09/जुलाई /2025