वाशिंगटन(ईएमएस)। सौरमंडल में एक बार फिर एलियन मेहमान की एंट्री हुई है। इस बार इसकी रफ्तार और रहस्य दोनों हैरान करने वाले हैं। वैज्ञानिकों ने 1 जुलाई 2025 को एक ऐसे धूमकेतु की खोज की जो हमारे सूरज के आसपास नहीं बना, बल्कि हमारी आकाशगंगा के एक बेहद पुरातन और अलग हिस्से से आया है। इसका नाम है कॉमेट 3 आई/एटलस, और इसकी रफ्तार लगभग 57 किलोमीटर प्रति सेकंड यानी 2 लाख किलोमीटर प्रति घंटा है। यह अब तक का तीसरा ऐसा पिंड है जिसे वैज्ञानिकों ने सौरमंडल में इंटरस्टेलर (बाहरी तारे से आया हुआ) पाया है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोफिजिसिस्ट मैथ्यू हॉपकिन्स और उनकी टीम ने इसे खोजा और इसकी दिशा व उत्पत्ति की स्टडी की। उन्होंने इंटरस्टेलर मॉडल’ की मदद से बताया कि यह धूमकेतु हमारी आकाशगंगा के ‘थिक डिस्क’ से आया है। यह हिस्सा आकाशगंगा के मुख्य ‘थिन डिस्क’ (जहां हमारा सूरज है) के ऊपर-नीचे फैला हुआ है और यहां की अधिकांश सितारे 10 अरब साल से ज्यादा पुराने हैं। अनुमान है कि 3 आईएटलस की उम्र 7.6 से 14 अरब साल के बीच है, जबकि हमारा सूरज महज 4.6 अरब साल पुराना है। इसका मतलब ये है कि ये कॉमेट सूरज से भी दोगुना पुराना हो सकता है। यह शायद यूनिवर्स की शुरुआत के समय का भी हो सकता है! वैज्ञानिकों के अनुसार, एटलस का व्यास लगभग 10 से 20 किलोमीटर है। इसका कोर नीले रंग का है जबकि इसकी ‘कोमा’ – यानी चारों ओर फैली गैसीय परत – लाल रंग की है। ऐसा कलर कॉम्बिनेशन सौरमंडल के बाकी धूमकेतुओं से अलग है। यह कॉमेट अक्टूबर 2025 में मंगल ग्रह की कक्षा के थोड़ा अंदर तक पहुंचेगा और फिर अंतरिक्ष में लौट जाएगा। इतनी तेज गति और सीधी राह पर चलते हुए, सूरज की गुरुत्वाकर्षण शक्ति भी इस एलियन धूमकेतु को अपनी कक्षा में नहीं बांध सकी। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका पथ ऐसा है जिसे कोई स्थानीय गुरुत्व शक्ति नहीं मोड़ सकती। यह बस एक यात्री की तरह आया और अब आगे बढ़ जाएगा। वीरेंद्र/ईएमएस 12 जुलाई 2025