14-Jul-2025
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नई दिल्ली,(ईएमएस)। सुप्रीम कोर्ट ने अहम मामले की सुनवाई के दौरान सोमवार को कहा कि देश के नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की अहमियत समझनी चाहिए और संयम का पालन करना चाहिए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया पर वर्तमान में चल रहे विभाजनकारी प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाना होगा। कोर्ट ने अभिव्यक्ति की आजादी की वकालत कर कहा कि किसी भी सूरत में सेंसरशिप की बात नहीं होनी चाहिए बल्कि लोगों को आत्मसंयम और नियमन का पालन करना चाहिए। शीर्ष अदालत ने भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित दिशा-निर्देशों पर विचार कर कहा कि नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी है लेकिन उनके बीच भाईचारा भी बने रहना चाहिए। अदालत ने कहा कि कोई नहीं चाहता है कि राज्य/सरकार इसतरह के मामलों में दखल दे, लेकिन भाषण की स्वतंत्रता पर तार्किक पाबंदियां उचित हैं। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के मूल्यों के बारे में लोगों को जागरूक होना चाहिए, क्योंकि कोई भी नहीं चाहता कि संबंधित सरकार नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप करे। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली के खिलाफ शिकायतकर्ता वजाहत खान द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर शीर्ष अदालत ने राज्यों और केंद्र से कहा कि वे सोशल मीडिया पर अभद्र भाषा को कंट्रोल करें। हालांकि, कोर्ट ने साफ किया कि सरकार ऐसी कोई भी कोशिश न करे जिससे अभिव्यक्ति की आजादी की पवित्रता का उल्लंघन हो। शीर्ष अदालत की पीठ ने आत्मनियमन और आत्मसंयम पर जोर देकर कहा, लोगों को ऐसा भाषण अप्रिय या अनुचित क्यों नहीं लग रहा? सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाले विषय-वस्तु का कुछ नियमन होना चाहिए और नागरिकों को इसतरह के घृणास्पद भाषणों (हेट स्पीच) को शेयर और लाइक करने से खुद को ही रोकना चाहिए। आशीष दुबे / 14 जुलाई 2025