राष्ट्रीय
14-Jul-2025
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पटना (ईएमएस)। बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव 2025 से पहले चुनाव आयोग की ओर से चलाए जा रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के तहत करीब 35.5 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस कार्रवाई ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है। विपक्ष ने इसे चुनावी गणित से छेड़छाड़ बताया है। उधर, इस मामले में चल रही सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में भी बेंच ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली और मंशा पर सवाल उठाते हुए जवाब मांगा है। चुनाव आयोग ने जानकारी दी कि अब तक 6.6 करोड़ मतदाता (88.18% कुल मतदाता) ने पुनरीक्षण फॉर्म जमा किया है। अंतिम तिथि 25 जुलाई है, इसके बाद ड्राफ्ट वोटर लिस्ट प्रकाशित की जाएगी। मृत पाए गए मतदाता: 1.59% = 12.5 लाख स्थायी रूप से बिहार छोड़ने वाले: 2.2% = 17.5 लाख डुप्लीकेट पंजीकरण: 0.73% = 5.5 लाख कुल मिलाकर 4.52% मतदाता यानी 35.5 लाख लोग, वोटर लिस्ट से हटेंगे। चुनाव आयोग के अनुसार, फील्ड वेरिफिकेशन में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के नागरिकों के नाम भी वोटर लिस्ट में पाए गए हैं। ऐसे नामों को सत्यापन के बाद हटाया जाएगा। उधर राजद नेता तेजस्वी यादव ने चेतावनी दी है कि अगर हर सीट से 1% वोटर हटे तो भी 3200 नाम प्रति विधानसभा प्रभावित होंगे। अब जब यह संख्या 5% से ऊपर जा चुकी है तो चिंता और गहरा गई है। सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर सुनवाई जारी है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने चुनाव आयोग को कहा था कि आधार, राशन कार्ड और वोटर आईडी जैसे दस्तावेजों के आधार पर सत्यापन किया जाए। अगली सुनवाई 28 जुलाई को होनी है। चुनाव आयोग का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ की जा रही है। मकसद यह है कि मृत, पलायन कर चुके और फर्जी नामों को हटाकर यथार्थपरक वोटर लिस्ट तैयार की जा सके। 25 जुलाई तक फॉर्म जमा करने की अंतिम तारीख है। इसके बाद ड्राफ्ट रोल प्रकाशित होगा। इसी सूची के आधार पर 2025 के चुनावों की मतदाता सूची तय होगी।