रायपुर(ईएमएस)। बस्तर अंचल के आदिवासी इलाकों में सामने आए बहुचर्चित तेंदूपत्ता बोनस घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए विशेष न्यायालय दंतेवाड़ा में 14 आरोपियों के विरुद्ध लगभग 4500 पन्नों का विस्तृत चालान प्रस्तुत किया है। इस मामले में अब तक पूर्व वनमंडलाधिकारी अशोक कुमार पटेल सहित 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि अन्य के खिलाफ कार्रवाई जारी है। जांच के अनुसार, वर्ष 2021-22 में तत्कालीन डीएफओ अशोक कुमार पटेल ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए तेंदूपत्ता संग्राहकों को दिए जाने वाले करीब 7 करोड़ रुपये के बोनस में भारी गबन किया। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों और लघुवनोपज समितियों के प्रबंधकों के साथ मिलकर यह साजिश रची और शासन को करोड़ों की आर्थिक क्षति पहुंचाई। अब तक की विवेचना में सामने आया है कि 17 में से 8 समितियों में करीब 3.92 करोड़ रुपये का गबन किया गया। इस मामले में गिरफ्तार 14 आरोपियों में अशोक पटेल के साथ 4 अन्य वनकर्मी—चैतूराम बघेल, देवनाथ भारद्वाज, मनीष कुमार बारसे और पोड़ियामी इड़िमा (हिडमा)— शामिल हैं। वहीं, 9 समिति प्रबंधक, जिनमें पायम सत्यनारायण उर्फ शत्रु, मोहम्मद शरीफ, सीएच रमना, सुनील नुप्पो, रवि कुमार गुप्ता, आयतू कोरसा, मनोज कवासी, राजशेखर पुराणिक उर्फ राजू और बी. संजय रेड्डी शामिल हैं, उन्हें भी आरोपी बनाया गया है। EOW की टीम ने मड़ईगुड़ा, गोलापल्ली, किस्टाराम, जगरगुण्डा, चिंतलनार, चिंतागुफा, भेज्जी, कोंटा और पोलमपल्ली जैसे दुर्गम और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जाकर ग्रामीणों से पूछताछ की। पूछताछ में सामने आया कि अधिकांश ग्रामीण तेंदूपत्ता बोनस योजना से अनभिज्ञ थे और उन्हें कभी भी लाभ नहीं मिला। इससे मामले में घोटाले की पुष्टि हुई। EOW अब शेष 9 समितियों से जुड़े मामलों की भी जांच कर रही है। यह घोटाला न केवल आर्थिक अपराध की गंभीर तस्वीर पेश करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस तरह आदिवासी अंचल की आजीविका से जुड़े संसाधनों का भी शोषण किया जा रहा है। सत्यप्रकाश(ईएमएस)15 जुलाई 2025