राष्ट्रीय
16-Jul-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में बीते पचास वर्षों की प्रगति ने मानव मस्तिष्क की कोशिकीय संरचना को समझने में अद्भुत योगदान दिया है, लेकिन इसी यात्रा में कई ऐसी लोकप्रिय अवधारणाएं भी सामने आईं जो अब वैज्ञानिक जांच में भ्रम साबित हो रही हैं। एक ताज़ा शोध-समीक्षा लेख ने इन मिथकों की परतें खोली हैं और उनके पीछे छिपे वैज्ञानिक तथ्यों को सामने लाया है। इसके अनुसार भ्रम और वास्तविकता की पड़ताल की जा सकती है। यहां जानें मिथक और वैज्ञानिक तथ्य- मिथक 1: मस्तिष्क में 100 अरब न्यूरॉन होते हैं तथ्य: आधुनिक तकनीकों जैसे आईसोट्रोपिक फ्रेक्शंनलॉर से पता चला है कि यह संख्या लगभग 86 अरब न्यूरॉन तक सीमित है। मिथक 2: वृद्धावस्था में मस्तिष्क के न्यूरॉन तेजी से नष्ट होते हैं तथ्य: नवीनतम अध्ययनों में स्पष्ट हुआ है कि यदि उम्र बढ़ने के साथ कोई न्यूरोलॉजिकल बीमारी न हो, तो न्यूरॉन की संख्या स्थिर रहती है। मिथक 3: पुरुष और महिला मस्तिष्क की संरचना में बड़ा अंतर होता है तथ्य: अनुसंधानों में लिंग आधारित न्यूरॉन या कार्यात्मक अंतर की कोई निर्णायक पुष्टि नहीं हुई है। मिथक 4: अधिक न्यूरॉन = अधिक बुद्धिमत्ता तथ्य: बुद्धिमत्ता का सीधा संबंध न्यूरॉन की संख्या से नहीं है, बल्कि यह मस्तिष्क के नेटवर्किंग और सूचना प्रसंस्करण क्षमता पर निर्भर करता है। मिथक 5: शराब का अत्यधिक सेवन भारी न्यूरॉन हानि करता है तथ्य: दीर्घकालिक शराब सेवन से संज्ञानात्मक क्षति हो सकती है, परंतु सामान्य न्यूरॉन क्षति जितनी व्यापक क्षति नहीं होती। तकनीकी बदलाव और निष्कर्ष इस शोध में यह भी बताया गया है कि विज्ञान में आए इमेजिंग, ब्रेन मैपिंग और स्टीरियोलॉजिकल उपकरणों ने इस भ्रम-निवारण को संभव बनाया है। लेखक का मानना है कि वर्षों तक अप्रमाणित धारणाओं को वैज्ञानिक समझ का हिस्सा मान लेना विज्ञान के निष्पक्ष विकास में बाधक रहा है। यह अध्ययन यह दर्शाता है कि मस्तिष्क को केवल संख्या या आकार से नहीं, बल्कि उसकी कोशिकीय विविधता, आपसी संपर्क और कार्यात्मक नेटवर्किंग से समझा जा सकता है। मानव मस्तिष्क की जटिलता को समझना एक निरंतर प्रक्रिया है, जो तकनीक, खुली सोच और वैज्ञानिक विवेक पर आधारित होनी चाहिए। यह शोध न केवल पुराने मिथकों को चुनौती देता है, बल्कि वैज्ञानिकों और आमजन को यह सीख भी देता है कि हर आंकड़े और अवधारणा को पुनः परीक्षण और विश्लेषण की कसौटी पर कसना चाहिए। हिदायत/ईएमएस 16 जुलाई 2025