21-Jul-2025
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:: समय पर जागरूकता से टल सकती है बड़ी परेशानी :: इंदौर (ईएमएस)। हमारा दिमाग शरीर का सबसे जटिल और महत्वपूर्ण अंग है, फिर भी अक्सर हम इसकी सेहत को तब तक नजरअंदाज करते हैं, जब तक कोई गंभीर समस्या सामने न आ जाए। हर साल 22 जुलाई को मनाए जाने वाले वर्ल्ड ब्रेन डे से ठीक एक दिन पहले, इंदौर के केयर हॉस्पिटल्स ने लोगों से एक महत्वपूर्ण अपील की है कि वे न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज न करें और नियमित रूप से ब्रेन हेल्थ की जांच करवाएं। इस वर्ष की थीम ब्रेन हेल्थ एंड प्रिवेंशन का उद्देश्य समय पर पहचान, सही इलाज और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना है। :: युवाओं में बढ़ रही न्यूरोलॉजिकल समस्याएं : डिजिटल ओवरलोड बना खतरा :: केयर हॉस्पिटल्स के सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. आशीष बागड़ी के अनुसार, लोग अक्सर ब्रेन से जुड़ी बीमारियों को सिर्फ स्ट्रोक या ट्यूमर से जोड़कर देखते हैं। लेकिन आज के समय में तनाव, बर्नआउट और डिजिटल ओवरलोड ज्यादा खतरनाक साबित हो रहे हैं, खासकर वर्किंग प्रोफेशनल्स में। डॉ. बागड़ी ने चेतावनी दी कि फोकस की कमी, चिड़चिड़ापन, नींद की समस्या और भूलने की आदत जैसे लक्षण अक्सर नजरअंदाज किए जाते हैं, पर ये दिमाग के लिए चेतावनी के संकेत हैं। कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. मनोरंजन बरनवाल ने बताया कि कॉर्पोरेट सेक्टर में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा, अब हम 30 साल तक की उम्र के लोगों में भी ऐसी न्यूरोलॉजिकल समस्याएं देख रहे हैं, जो पूरी तरह से तनाव और जीवनशैली से जुड़ी हैं। एक स्वस्थ दिमाग सिर्फ बीमारियों से बचने के लिए नहीं होता, बल्कि मानसिक, भावनात्मक और बौद्धिक रूप से हर दिन बेहतर तरीके से जीने के लिए होता है। :: स्वस्थ दिमाग के लिए अपनाएं ये आदतें :: न्यूरोलॉजिस्ट मानते हैं कि दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए कुछ सामान्य आदतें बेहद कारगर हैं: - पर्याप्त नींद : हर रात 7 से 8 घंटे की अच्छी नींद लेना। - संतुलित आहार : बी-विटामिन्स, ओमेगा-3 फैटी एसिड और एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर भोजन। डॉ. बरनवाल ने अखरोट, फैटी फिश, बेरीज और हरी पत्तेदार सब्जियों को ब्रेन-फ्रेंडली फूड्स बताया। - तनाव प्रबंधन : नियमित ध्यान या माइंडफुलनेस का अभ्यास करना। - डिजिटल हाइजीन : स्क्रीन टाइम की सीमा तय करना और नियमित रूप से डिजिटल डिटॉक्स लेना। :: टेक्नोलॉजी : वरदान या चुनौती? डॉ. बागड़ी ने आगाह किया कि वियरेबल्स और एआई-आधारित टेस्ट जहां न्यूरो-केयर को बदल रहे हैं, वहीं स्क्रीन के ज्यादा इस्तेमाल, मल्टीटास्किंग और सोशल मीडिया की लत से ध्यान और मानसिक स्थिरता पर बुरा असर पड़ रहा है। उन्होंने जोर दिया, टेक्नोलॉजी एक साधन है, इंसानी आराम, जुड़ाव और सोच का विकल्प नहीं। माता-पिता और शिक्षकों को बच्चों के स्क्रीन टाइम पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी गई है, क्योंकि ज्यादा स्क्रीन एक्सपोजर से बच्चों के भावनात्मक नियंत्रण, एकाग्रता और संवाद कौशल में देरी हो सकती है। केयर हॉस्पिटल्स न्यूरोसाइंस के क्षेत्र में लगातार अग्रणी बना हुआ है, जिसमें एडवांस्ड डायग्नॉस्टिक्स, स्ट्रोक-रेडी इमरजेंसी टीमें, मिर्गी निगरानी यूनिट्स, न्यूरो-रिहैबिलिटेशन और विशेषज्ञों द्वारा संचालित सर्जरी शामिल हैं। इस वर्ल्ड ब्रेन डे पर, केयर हॉस्पिटल्स सभी से अपील करता है : समय रहते शुरुआत करें, स्पष्ट सोचें और अपने सबसे ज़रूरी अंग दिमाग की रक्षा करें। प्रकाश/21 जुलाई 2025