अंतर्राष्ट्रीय
23-Jul-2025
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सना(ईएमएस)। कहते हैं मारने वाले से बचाने वाला कई गुना बड़ा होता है। ग्लोबल पीस इनिशिएटिव के संस्थापक डॉ केए पॉल किसी देवदूत से कम नहीं हैं। उन्होंने यमन में मौत की सजा पा चुकी भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी रद्द कराने में सफलता हासिल की है। यह जानकारी खुद पॉल ने एक वीडियो जारी करके दी। उन्होंने यमनी नेताओं के प्रभावशाली और प्रार्थनापूर्ण प्रयासों और पिछले दस दिनों की अथक मेहनत की सराहना की। डॉ पॉल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि भारतीय राजनयिक निमिषा को सुरक्षित भारत लाने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने सना जेल से निमिषा की ओमान, जेद्दा, मिस्र, ईरान या तुर्की के रास्ते सुरक्षित वापसी के लिए भारत सरकार के साथ रसद व्यवस्था की बात कही। डॉ केए पॉल का जन्म 10 सितंबर 1963 में आंध्र प्रदेश में हुआ था। उन्हें आधुनिक गांधी भी कहा जाता है। वो एक भारतीय मूल के समाजसेवी हैं। उन्होंने अमेरिका-आधारित ग्लोबल पीस इनिशिएटिव (जीपीआई) और गॉस्पेल टू द अनरीच्ड मिलियन्स (जीयूएम) की स्थापना की। आंध्र प्रदेश में जन्म के बाद उन्होंने 8 साल की उम्र में ईसाई धर्म अपनाया। वो 19 साल की उम्र में पूर्णकालिक मिशनरी बन गए थे। वो 155 देशों में 2200 शांति रैलियां आयोजित कर चुके हैं। डॉ केए पॉल लाइबेरिया, इराक और भारत-पाकिस्तान जैसे क्षेत्रों में शांति मध्यस्थता के लिए जाने जाते हैं। कहा जाता है कि कई बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित पॉल ने 3.1 लाख अनाथों की मदद की है। निमिषा की रिहाई भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत है। ऐसा इसलिए क्योंकि यमन एक गृहयुद्ध देश है। भारत के यमन के साथ कोई औपचारिक कूटनीतिक संबंध नहीं हैं। इसके बावजूद भारत ने मिडिल-ईस्ट में अपने प्रभाव के दम पर निमिषा की कानूनी लड़ाई में मदद की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पिछले सप्ताह बताया था कि भारत यमनी अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में है और निमिषा के लिए हर संभव सहायता प्रदान कर रहा है। मंत्रालय ने निमिषा के परिवार के लिए वकील नियुक्त किया और शरिया कानून के तहत क्षमादान की संभावनाएं तलाशीं। 16 जुलाई को निर्धारित फांसी को टालने में भारत की कूटनीतिक कोशिशें कामयाब रहीं।38 वर्षीय निमिषा प्रिया, केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली है। वो साल 2017 में एक यमनी नागरिक की हत्या के लिए 2020 में फांसी की सजा सुनाई गई थी। नवंबर 2023 में यमन के सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने उनकी अपील खारिज कर दी थी। निमिषा की मां प्रेमाकुमारी ने पिछले साल यमन जाकर बेटी की रिहाई की गुहार लगाई थी। वीरेंद्र/ईएमएस/23जुलाई2025