क्षेत्रीय
02-Aug-2025
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महिलाओं की सुरक्षा, समावेशन और सामुदायिक सहभागिता पर केंद्रित दृष्टिकोण इंडिया रूरल कौलौक्वी 2025 के पाँचवें संस्करण का शुभारम्भ भोपाल(ईएमएस)। एक समृद्ध और सुरक्षित जीवन केवल भौतिक संसाधनों में नहीं, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों के विवेकपूर्ण और न्यायसंगत उपयोग में निहित होता है। यह विडंबना है कि नदियों की उत्पत्ति का प्रदेश होने के बावजूद, मध्य प्रदेश में गर्मियों में गंभीर जल संकट उत्पन्न हो जाता है यह स्थिति हमारे पारिस्थितिकीय उत्तरदायित्व पर पुनर्विचार की मॉग करती है। उक्त उदगार प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने दिनांक 1 अगस्त 2025 को ट्रांसफॉर्म रुरल इंडिया (TRI) दवारा आयोजित इंडिया रुरल कोलोक्वी के पाँचवे संस्करण के शुभारम्भ में व्यक्त किये । अपने संबोधन में मंत्री पटेल ने कहा कि प्रौ‌द्योगिकी हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक है, परंतु यह मानवीय मूल्यों, श्रम और संवेदना का स्थान नहीं ले सकती। उन्होंने वर्तमान नियोजन प्रक्रियाओं की समीक्षा करते हुए इस बात पर बल दिया कि शासन में भौतिकवादी सोच का अतिरेक हो गया है और अब समय है कि हम अपने अमूल्य पारिस्थितिकीय और सांस्कृतिक संसाधनों जैसे जंगल, वन्यजीव और नदियों - की रक्षा की ओर ध्यान देना होगा। उन्होंने नर्मदा परिक्रमा पथ को हमारी पारंपरिक जान परंपरा और नदी-आस्था का प्रतीक बताया। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश में अब तक 92 नदियों की उत्पत्ति स्थलों को चिन्हित किया गया है, जिन्हें आज भी आदिवासी समुदाय पर्ची के दौरान पूजते और संरक्षित करते हैं। वहीं दूसरी ओर, शिक्षित वर्ग इन स्रोतों से लगभग कट चुका है। हम उपभोग करते हैं, प्रदूषण फैलाते हैं, और भूल जाते हैं कि हमारी नदियों कहाँ जन्म लेती हैं यह प्रवृत्ति अब बंद होनी चाहिए, उन्होंने कहा। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा, हमें अपनी पिछली कमियों को स्वीकार कर भविष्य की योजना में उन का सुधार सम्मिलित करना होगा। इस अवसर पर मंत्री पटेल द्वारा ग्राम पंचायत हेल्पडेस्क पहल का शुभारंभ किया गया, जिसका सञ्चालन पेटलावद ब्लॉक के अलसिया गांव की जमीनी महिला नेतृत्वकर्ता रेशमा निनामा द्वारा किया जायेगा आईएफएम, ओपाल के सहयोग से आयोजित इस कोलोक्वी के मध्य प्रदेश संस्करण में प‌द्मश्री जनक पलटा की प्रेरणादायक उपस्थिति रही। उन्होंने बारली ग्रामीण महिला विकास संस्थान की स्थापना की अपनी यात्रा साझा की जहाँ बिना स्टाफ और सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने अपने पति के साथ एक आत्मनिर्भर, हरित परिसर खड़ा किया। यह संस्थान आज स्थानीय भाषाओं में साक्षरता, स्वास्थ्य, नेतृत्व, नवीकरणीय ऊर्जा, फोटोग्राफी और उद्यमिता का प्रशिक्षण देता है। उन्होंने सौर ऊर्जा आधारित कुकिंग, सोलर ड्रायर, पवनचालित स्ट्रीट लाइट, जैविक खा‌द्य उत्पादन और विपणन जैसी तकनीकों की शुरुआत की। जब महाराष्ट्र में किसान आत्महत्या कर रहे थे, तब हमने सौर ऊर्जा आधारित समाधान विकसित किए खाना पकाने से लेकर दर्द निवारक उपाय तक, उन्होंने कहा। साथ ही उन्होंने सतत विकास, शून्य अपशिष्ट और प्रदूषणमुक्त जीवनशैली की अपील की। आज के संवाद प्रदेश के अनेक स्थानों से ग्रामीण महिलाओं ने जुड़ कर अपनी बात रखी खातेगांव की अंजलि ने बताया कि महिलाएँ सुरक्षा कारणों से शाम 5 बजे के बाद बाहर निकलने से कतराती हैं। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्ट्रीट लाइटिंग और सुरक्षित सार्वजनिक परिवहन की माँग की। खातेगांव की रमा केवट ने बताया कि लड़कियों की पढाई आठवीं के बाद रुक जाती है क्योंकि स्कूल दूर हैं और रास्ते सुरक्षित नहीं हैं। उत्पीडन भी एक बड़ी वजह है। बरछा की एक वरिष्ठ महिला सरपंच ने साझा किया कि डर, उपेक्षा और असुरक्षित सड़कों के कारण बच्चियों के न केवल स्कूल जाने में बाधा आती है, बल्कि स्थानीय शासन में महिलाओं की भागीदारी भी प्रभावित होती है। पैनल चर्चा में छोटे सिंह (निदेशक, पंचायती राज), डॉ. पी. के. विश्वास, डॉ. शर्मा, प्रो. राजपाल गौर (महिला एवं बाल विकास) और स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर के संकाय सदस्य शामिल हुए। इस चर्चा में एक प्रमुख प्रश्न उभराः हम ऐसे ग्रामीण परिवेश कैसे डिज़ाइन करें जो सुरक्षित, समावेशी और जलवायु अनुकूल हो? डॉ. विश्वास ने जोर देकर कहा कि एजेंडा 2030 और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की शुरुआत ग्रामीण भारत से होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक लैंगिक समानता, स्थानीय जान और सामाजिक बाधाओं को तोड़ने की दिशा में कार्य नहीं होगा, तब तक सतत विकास अधूरा रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि महिलाएँ जो प्रकृति की सबसे कुशल प्रबंधक हैं आज भी भूमि, जल और वनों पर अधिकार से वंचित हैं, और यह स्थिति बदलनी होगी। कोलोक्वी के इस पाँचवें संस्करण ने ग्रामीण विकास को एक नई दृष्टि प्रदान की जो इसे केवल एक अधोसंरचना परियोजना न मानकर एक सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन के रूप में देखने की बात करता है, जो स्थानीय सच्चाइयों में निहित है और महिलाओं व वंचित समुदायों के नेतृत्व में संचालित होता है। इस संवाद से निम्नलिखित ठोस सिफारिशें सामने आई: लैंगिक समावेशन और जलवायु अनुकूलन को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण स्थलों का डिज़ाइन सतत तकनीकों और जमीनी नवाचारों को बढ़ावा देना सामुदायिक भागीदारी से एकीकृत ग्राम पंचायत विकास योजना (GPDP) को सशक्त करना चयनित जिलों में पायलट के रूप में शुरुआत करना और उसके बाद बड़े पैमाने पर कार्यान्वयन के लिए अनुकूल वातावरण बनाना यह आयोजन इस बात को पुष्ट करता है कि वास्तविक परिवर्तन वहीं से आएगा जहाँ ग्रामीण आवाजें अग्रणी भूमिका निभाएँगी, और जब हम ग्रामीण आवासों को जीवंत पारिस्थितिक तंत्र के रूप में देखेंगे जहाँ परंपरा और नवाचार, गरिमा और डिज़ाइन का समावेश होगा। मुख्य प्रतिभागियों में शामिल थेः डॉ. के. रविचंद्रन (निदेशक, IIFM), डॉ. पी. के. विश्वास (पूर्व कुलपति, स्काईलाइन यूनिवर्सिटी), अलीवा दास (एसोसिएट डायरेक्टर, TRI), राजेश सिंह (TRI), नेहा गुप्ता (एसोसिएट डायरेक्टर, TRI), जितेंद्र पंडित (एसोसिएट डायरेक्टर, गवर्नेस, TRI), और राज्यभर से अनेक वरिष्ठ अधिकारी, सामुदायिक नेता एवं सामाजिक परिवर्तनकर्ता। इंडिया रूरल कोलोक्वी पाँचवाँ संस्करण के बारे में - इंडिया रूरल कोलोक्वी, ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया (TRI) की प्रमुख पहल है, जो इस वर्ष अपने पाँचवें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है। यह पहल पाँच वर्ष पूर्व एक वर्चुअल सीरीज के रूप में प्रारंभ हुई थी, जो अब एक बहु-राज्यीय, जीवंत आयोजन में परिवर्तित हो गई है, जो ग्रामीण भारत की आवाज़ को नई दिशा देने का कार्य कर रही है। इस वर्ष यह आयोजन स्थानीय भागीदारी, संस्थागत सहयोग और ग्रामीण भारत की आवाज़ को राष्ट्रीय मंच तक पहुँचाने की प्रतिबद्धता के साथ लौटा है। मध्य प्रदेश संस्करण के बाद, अगस्त क्रांति सप्ताह के दौरान उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और दिल्ली में विविध संवाद और कार्यक्रम आयोजित होंगे। इन क्षेत्रीय और राष्ट्रीय आयोजनों से प्राप्त प्रमुख विचारों को क्रियान्वयन योग्य रूप में तैयार कर, भारत के ग्रामीण नवजागरण के लिए एक कार्ययोजना के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।