जब से नेपाल में आंदोलन और सत्ता में बदलाव की खबरें मीडिया में दौड़ रही हैं तब से ‘जेन जी’ और ‘नेपो किड्स’ जैसे शब्द घर-घर में सुनाई देने लगे हैं। हालांकि नेपो किड्स हमारे देश में नया शब्द नहीं है क्योंकि मनोरंजन जगत और खासतौर पर बॉलीवुड, खेल, व्यवसाय एवं राजनीति जैसे तमाम क्षेत्रों में इसका भरपूर इस्तेमाल होता आ रहा है। सामान्य रूप से समझे तो नेपो किड्स शब्द नेपोटिज्म से लिया गया है, जिसका सामान्य अर्थ है भाई-भतीजावाद। यह तमगा उन युवाओं के लिए इस्तेमाल होता है जो अपने परिवार के प्रभाव के कारण राजनीति,मनोरंजन, फिल्म, खेल, व्यवसाय जैसे विभिन्न क्षेत्रों में आसानी से अवसर प्राप्त कर लेते हैं। इन पर यह आरोप लगता है कि वे प्रतिभा या मेहनत के बजाय अपने परिवार के नाम पर सफलता हासिल कर रहे हैं। हालांकि कई मामलों में यह बात सही नहीं है क्योंकि नेपो किड्स में कई युवा वाकई प्रतिभाशाली होते हैं और वे अपनी लगन, मेहनत और कौशल से लंबी रेस का घोड़ा साबित होते हैं। जहां तक मौजूदा वक्त के सबसे चर्चित शब्द ‘जेन जी ’ या जेनरेशन जेड की बात है तो यह शब्द आमतौर पर उन युवाओं के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है जिनका जन्म 1997 से 2012 के बीच हुआ है। जैसे भारतीय संदर्भ में परदादा, दादा, पिता और बेटे के जरिए पीढ़ियों को समझा जाता है उसी तरह पश्चिमी संदर्भ में पीढ़ियों को अलग अलग नाम से वर्गीकृत किया गया है। फिलहाल जेन जी सबसे युवा पीढ़ी है जो डिजिटल युग में पग कर एवं रच बसकर तैयार हुई है । यह पीढ़ी इंटरनेट, स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के साथ बड़ी हुई है इसलिए कुछ लोग इन्हें डिजिटल नेटिव्स भी कहते हैं। जेन जी को तकनीकी दक्षता, सामाजिक जागरूकता और वैश्विक मुद्दों के प्रति संवेदनशीलता के लिए भी जाना जाता है। ऐसा भी नहीं है कि पीढ़ियों का नामकरण कोई पहली बार हो रहा है। दशकों से पश्चिमी समाज में बदलती पीढ़ियों को उनके दौर और तात्कालिक घटनाओं के मुताबिक अलग अलग दिलचस्प नामों से संबोधित किया जाता रहा है। मसलन नामकरण की इस श्रृंखला की सबसे पहली एवं 1883–1900 के बीच जन्मी पीढ़ी को ‘लॉस्ट जेनरेशन’ कहा जाता है । यह पीढ़ी प्रथम विश्व युद्ध के समय की थी। इस समूह ने युद्ध और सामाजिक उथल-पुथल का सामना किया। इसके बाद की पीढ़ी को नाम मिला ‘ग्रेटेस्ट जेनरेशन’ । इसमें 1901–1927 के बीच जन्में लोगों को शामिल किया गया । देशभक्ति, कठिन परिश्रम और सामूहिक बलिदान से अपनी पहचान बनाने वाली इस पीढ़ी ने प्रथम विश्व युद्ध का प्रत्यक्ष अनुभव किया था। इसके बाद नंबर आता है ‘साइलेंट जेनरेशन’ का । हालांकि इस नाम का इनके चुप/मौन रहने से कोई मतलब नहीं है बल्कि मौन रहकर परिश्रम करने से है। इस पीढ़ी में 1928–1945 के बीच जन्में लोग शामिल किए गए । इस पीढ़ी ने युद्ध के बाद पुनर्निर्माण का दौर देखा है और अपनी मेहनत से अपना संसार रचा था । साइलेंट जनरेशन के बाद आई पीढ़ी के नामकरण की वजह भी बहुत ही दिलचस्प है। इन्हे ‘बेबी बूमर्स’ कहा जाता है और इसमें 1946–1964 के बीच जन्में लोग शामिल हैं। दरअसल द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जन्म दर में एकाएक हुई वृद्धि के कारण इस पीढ़ी को यह नाम मिला। यह पीढ़ी आर्थिक समृद्धि, सामाजिक परिवर्तन और उपभोक्तावाद के लिए भी जानी जाती है। मौजूदा वक्त में अपनी कलम, लेखन, परिश्रम, विचारों और आविष्कारों से दुनिया को समृद्ध करने वाली और अब अधेड़ हो चली पीढ़ी को ‘जेनरेशन X’ कहा जाता है। इसमें 1965–1980 के बीच जन्में हम जैसे तमाम लोग शामिल हैं। हमारी यह पीढ़ी इस मामले में सबसे खास है कि इसने परंपराओं और तकनीकी बदलावों को साथ-साथ जिया है। जेन एक्स ने लैंडलाइन फोन से लेकर पेजर एवं मोबाइल फोन के विकास तक और कैसेट से फ्लॉपी,सीडी, डीवीडी, पेन ड्राइव और अब क्लाउड स्टोरेज तक का लंबा परन्तु तेजी से बदलता सफर तय किया है। इसके बाद आती है ‘जेनरेशन वाय’ अर्थात् वो लोग जिन्होंने 1981–1996 के बीच जन्म लिया है। हम कह सकते हैं कि इसमें हमारे परिवार के बड़े बच्चे शामिल हैं। यह पीढ़ी डिजिटल क्रांति के शुरुआती दौर में जवान हुई है और तकनीक समझ के साथ इसके अनुभवों से भी सराबोर है। अब आती है बारी बहुचर्चित ‘जेनरेशन जेड’ या जेन जी की। यह हमारी युवा पीढ़ी है क्योंकि इन्होंने 1997–2012 के बीच जन्म लिया है। मोबाइल, गेमिंग, सोशल मीडिया में डूबती उतराती इस पीढ़ी के सदस्य अधिकतम 25 से 28 साल के युवा हैं और इन्हें पढ़ाई, नौकरी, बढ़िया लाइफ और व्यक्तिगत हितों की सबसे ज्यादा फिक्र है। इसलिए यह पीढ़ी दुनिया भर में धमा चौकड़ी मचाए हुए है। ऐसा नहीं है कि पीढ़ियों का यह वर्गीकरण जेन जी पर आकर रुक गया है बल्कि इनके पीछे पीछे एक नई पीढ़ी तैयार हो गई है जिसे ‘जेनरेशन अल्फा’ नाम मिला है। इसमें 2013 से लेकर मौजूदा साल यानि 2025 तक पैदा हुए बच्चे शामिल हैं। यह मानव सभ्यता की सबसे नवीनतम पीढ़ी है, जो पूरी तरह से 21वीं सदी में जन्मी है। कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि पीढ़ियों का यह वर्गीकरण मोटे तौर पर जन्म वर्ष, सामाजिक-आर्थिक घटनाओं, और सांस्कृतिक बदलावों के आधार पर किया जाता है। प्रत्येक पीढ़ी को उस समय की प्रमुख घटनाओं और मूल्यों के आधार पर परिभाषित किया जाता है और उसी के मुताबिक उनका नामकरण किया जाता है। बस, सोचने वाली बात यह है कि जब जेन जी दुनिया भर में ऐसा जबरदस्त हड़कंप मचाए हुए है तो जनरेशन अल्फा क्या और कितना कमाल नहीं करेगी। (ईएमएस)। .../ 12 सितम्बर /2025