राष्ट्रीय
18-Oct-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। बुजुर्गों और जोड़ों की बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए ठंड का मौसम चुनौतीपूर्ण साबित होता है। ऐसे में आयुष मंत्रालय ने योग को एक प्राकृतिक और प्रभावी समाधान बताया है। नियमित रूप से योगासन करने से जोड़ों का लचीलापन बढ़ता है, दर्द और सूजन कम होती है तथा शरीर और मन दोनों को संतुलित किया जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि योग न केवल शरीर को मजबूत बनाता है, बल्कि मानसिक तनाव को भी कम करता है, जो अक्सर दर्द को और बढ़ा देता है। इनमें कुछ प्रमुख योगासन जैसे भुजंगासन, त्रिकोणासन और गोमुखासन को जोड़ों की मजबूती के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना गया है। भुजंगासन रीढ़ की हड्डी और कमर के लिए अत्यंत फायदेमंद होता है। इस आसन को करने के लिए व्यक्ति को पेट के बल लेटकर हथेलियों को छाती के पास रखना होता है और धीरे-धीरे ऊपरी धड़ को ऊपर उठाना होता है। यह आसन रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ाता है और कमर की मांसपेशियों को मजबूत करता है। इससे कंधों, गर्दन और पीठ की जकड़न में भी राहत मिलती है। नियमित अभ्यास से जोड़ों की सूजन और दर्द में कमी आती है। वहीं, त्रिकोणासन शरीर के संतुलन को बनाए रखते हुए जोड़ों में लचीलापन बढ़ाने में मदद करता है। इस आसन में व्यक्ति को सीधे खड़े होकर दोनों पैरों को अलग रखते हुए एक पैर को बाहर की ओर मोड़ना होता है। फिर शरीर को झुकाकर एक हाथ को जमीन की ओर ले जाया जाता है जबकि दूसरा हाथ ऊपर की दिशा में रहता है। इस आसन से कूल्हों, घुटनों और टखनों की जकड़न दूर होती है और रक्तसंचार बेहतर होता है। गोमुखासन कंधों और कूल्हों की अकड़न को दूर करने के लिए एक असरदार योगासन माना जाता है। इसे बैठकर किया जाता है, जिसमें एक पैर को दूसरे पैर के नीचे मोड़कर रखा जाता है और दोनों हाथों को पीठ के पीछे से मिलाने की कोशिश की जाती है। इससे कंधों और रीढ़ की मांसपेशियों में खिंचाव आता है, जो उन्हें मजबूत बनाता है। यह आसन बैठने की गलत आदतों से होने वाले दर्द को भी कम करता है। सुदामा/ईएमएस 18 अक्टूबर 2025