अंतर्राष्ट्रीय
18-Oct-2025
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यह भ्रष्टाचार के खिलाफ है या फिर सत्ता पर पकड़ मजबूत करने की रणनीति बीजिंग,(ईएमएस)। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी “एंटी-करप्शन मुहिम” के तहत सेना के सबसे ऊंचे स्तर पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है। देश के नंबर-2 जनरल हे वेइडोंग और सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के एक और सदस्य मियाओ हुआ को भ्रष्टाचार के आरोपों में बर्खास्त कर दिया है। यह कार्रवाई ऐसे वक्त में हुई है जब पार्टी का फोर्थ प्लेनम बीजिंग में आयोजित होने वाला है। यहां सैकड़ों वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। मीडिया रिपोर्ट कके मुताबिक राजनीतिक गलियारों में सवाल उठने लगे हैं कि क्या जिनपिंग की यह “सफाई मुहिम” वाकई भ्रष्टाचार के खिलाफ है या फिर सत्ता पर पकड़ मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा? चीन के रक्षा मंत्रालय ने पुष्टि की कि हे वेइडोंग और मियाओ हुआ को “पार्टी अनुशासन और कानून के गंभीर उल्लंघन” के चलते कम्युनिस्ट पार्टी और सेना से निष्कासित कर दिया है। हे वेइडोंग जो कि सीएमसी के वाइस-चेयरमैन और 24 सदस्यीय पोलितब्यूरो के सदस्य थे, पिछले कई महीनों से सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आए थे। अब उनका नाम उन वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की सूची में शामिल हो गया है जिन्हें 2022 के बाद से हटा दिया गया है। हे वेइडोंग की बर्खास्तगी ऐतिहासिक मानी जा रही है क्योंकि सांस्कृतिक क्रांति के बाद पहली बार किसी मौजूदा सीएमसी जनरल को इस तरह से हटाया गया है। वह जिनपिंग के बेहद करीबी माने जाते थे और पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) में तीसरे सबसे ताकतवर अधिकारी थे। मंत्रालय के प्रवक्ता झांग शियाओगांग ने बताया कि वेइडोंग, मियाओ हुआ और सात अन्य सैन्य अफसरों पर “गंभीर कर्तव्य-सम्बंधी अपराधों” और “भ्रष्टाचार की भारी रकम” से जुड़ी जांच चल रही है। शी जिनपिंग पिछले एक दशक से जीरो ट्रालेंस पॉलिसी पर काम कर रहे हैं। उनके मुताबिक भ्रष्टाचार पार्टी के लिए “सबसे बड़ा खतरा” है, लेकिन कई विशेषज्ञ इसे सत्ता के केंद्रीकरण का औजार मानते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम संभावित तख्तापलट या असंतोष की आशंका को खत्म करने की कोशिश हो सकता है। सीएमसी यानी सेंट्रल मिलिट्री कमीशन चीन की सबसे ऊंची सैन्य संस्था है। इसके अध्यक्ष खुद शी जिनपिंग हैं। 2022 में चुने गए सात सदस्यों में अब सिर्फ चार ही बचे हैं। जिनपिंग, झांग यौक्सिया, लियू झेनली और झांग शेंगमिन। विश्लेषकों का कहना है कि यह इतिहास में सेना के शीर्ष स्तर पर सबसे बड़ा फेरबदल है, जिसने सेना में भय और असमंजस का माहौल पैदा कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह अभियान केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा नहीं है, बल्कि जिनपिंग अपने “राइवल पावर सेंटर्स” को खत्म करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। जिनपिंग का उद्देश्य है कि 2030 तक चीन की नीतियों पर पूर्ण नियंत्रण बना रहे और किसी भी तरह की चुनौती को पहले ही दबा दिया जाए। सूत्रों के मुताबिक जिनपिंग अपने भरोसेमंद अधिकारियों को अहम पदों पर लाने की तैयारी में हैं। इसका असर चीन की रक्षा नीति, वैश्विक रिश्तों और आंतरिक शक्ति संतुलन पर सीधा पड़ेगा। सिराज/ईएमएस 18अक्टूबर25 -------------------------------------