अंतर्राष्ट्रीय
22-Nov-2025
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वॉशिंगटन(ईएमएस)। एक पूर्व सीआईए के अधिकारी ने दावा किया है कि इजराइल ने ईरान पर परमाणु बम से हमला करने का मन बना लिया था, लेकिन ऐन वक्त पर उन्हे रोक लिया गया। यदि ये हमला हो जाता तो भारी नुकसान होता। पूर्व सीआईए अधिकारी जॉन किरियाकू ने एक पॉडकास्ट में कहा कि इस हमले के पीछे असली दबाव इजरायल का था। उसने चेतावनी दी थी कि अगर अमेरिका ने ईरान के बंकरों को तबाह नहीं किया तो इजरायल ‘न्यूक्लियर हथियार’ इस्तेमाल कर सकता है। उनका कहना है कि यह धमकी पहले कभी नहीं दी गई थी और ट्रंप को लगा कि अमेरिका का हमला तीसरे विश्व युद्ध को रोक सकता है। पॉडकास्ट में आगे इस बात की भी चर्चा हुई कि इजरायल ने कभी नहीं माना है कि उसके पास न्यूक्लियर हथियार हैं और आखिर उसने अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने यह मान लिया। इस पर किरियाकू का दावा था कि 1950 के दशक में इजरायल ने इस पर काम शुरू कर दिया और 60-7 के दशक में उसे मिल गया। इस पूरी कार्रवाई को ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ नाम दिया गया था। अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने तब कहा थ कि यह एक ‘प्रिसिजन स्ट्राइक’ थी, जिसे पूरी गोपनीयता के साथ अंजाम दिया गया। इसी ऑपरेशन के दौरान अमेरिकी पनडुब्बी ने भी इस्फहान में मौजूद एक और न्यूक्लियर साइट पर टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें दागीं। इसके साथ ही नौ दिनों तक चले इजरायली हमलों ने ईरान की हवाई सुरक्षा और सैन्य नेतृत्व को कमजोर कर दिया था। अमेरिका ने जून में ईरान की गहरी अंडरग्राउंड न्यूक्लियर साइट्स पर ऐसा हमला किया जिसे वर्षों से तैयार किया जा रहा था। अमेरिकी पायलटों ने ईरान के फोर्दो फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट पर लगभग 15000 किग्रा जीबीयू-57 ‘मैसिव ऑर्डनेंस पेनिट्रेटर’ बम गिराए। यह बम जमीन के अंदर 100 मीटर से ज्यादा गहराई में जाकर विस्फोट करने के लिए बनाए जाते हैं और लगभग 15 साल से इनके इस्तेमाल की योजनाएं तैयार की जा रही थीं। अमेरिकी अधिकारियों का दावा है कि इस हमले ने ईरान की न्यूक्लियर क्षमता को भारी नुकसान पहुंचाया। वीरेंद्र/ईएमएस 22 नवंबर 2025