राष्ट्रीय
24-Jan-2023
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मुंबई (ईएमएस)। कोरोना काल में वित्तीय मामलों को लेकर मुंबई महानगरपालिका की जहां कैग के माध्यम से जांच चल रही है वहीं यह बात सामने आई है कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों की जांच कर रहा है. भ्रष्टाचार के 142 मामलों में एसबी द्वारा मनपा के 200 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों की जांच की जा रही है। इन 142 प्रकरणों में से 105 प्रकरणों में आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया जा चुका है जबकि 37 प्रकरणों में आरोप पत्र दाखिल किया जाना शेष है यह मनपा ने सूचना के अधिकार में सूचित किया है. दरअसल मनपा के विभिन्न अधिकारी व कर्मचारी भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों में भ्रष्टाचार निरोधक विभाग के जाल में फंसे हुए हैं। द यंग व्हिसल ब्लोअर्स फाउंडेशन के जितेंद्र घाडगे ने सूचना के अधिकार के तहत मनपा से जानकारी मांगी थी कि कितने अधिकारी व कर्मचारी जांच के दायरे में हैं कितने के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है और कितने मामलों में कानूनी कार्रवाई की गई है. इसपर मनपा ने अपने लिखित उत्तर में स्पष्ट किया है कि 142 मामलों में चार्जशीट के साथ-साथ एसीबी को प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति से इनकार के संबंध में वर्गीकृत जानकारी संरक्षित नहीं की गई है। साथ ही 377 प्रकरणों में मनपा द्वारा जांच हेतु एसीबी स्वीकृत नहीं किया गया है यद्यपि एसीबी द्वारा 105 प्रकरणों में आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है। भ्रष्टाचार निरोधी विभाग द्वारा मनपा के कर्मचारियों के विरुद्ध की गई कार्यवाही एवं तदनुरूपी कार्यवाही/कार्य मनपा स्तर पर संबंधित विभाग/कर्मचारी एवं मनपा प्रशासन के मध्य प्रशासनिक कार्य का विषय है तथा यह व्यक्तिगत सूचना के अंतर्गत आता है। साथ ही उनके खिलाफ कोर्ट केस/विभागीय स्तर की जांच भी पूरी नहीं हो पाई है। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए लोक सूचना अधिकारी सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की क्रमशः धारा 8(1)(1) और धारा 8(1)(एच) के अनुसार इस जानकारी को प्रकट करने या प्रदान करने के लिए बाध्य नहीं हैं। इसलिए अवलोकन नहीं दिया जा सकता केवल सूचना दी जा रही है ऐसा इस उत्तर में कहा गया है। जब एसीबी के माध्यम से मुकदमा चलाने या प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति देने की बात आती है तो मनपा जानकारी देने से इनकार करती है। घाडगे ने आरोप लगाया कि ऐसी सूचनाओं को अलग से नहीं रखा जाता है और उनके अधिकारियों को बचते हुए जवाब दिया जाता है। मनपा का जांच विभाग भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई में मदद करने वाला तो लगता है लेकिन दुर्भाग्य से उन्होंने पिछले साल भी इस संबंध में मांगी गई जानकारी से इनकार कर दिया है. घाडगे ने दावा किया कि इससे पता चलता है कि मनपा अपने भ्रष्ट अधिकारियों को किसी भी तरह की पूछताछ या अभियोजन का सामना करने से बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।