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24-Jan-2023
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नई दिल्ली (ईएमएस)। न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच चल रहे विवाद के बीच केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि न्यायाधीश चुनाव नहीं लड़ते हैं। उन्हें सार्वजनिक जांच का सामना नहीं करना पड़ता। दिल्ली बार एसोसिएशन के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रिजिजू ने कहा हर नागरिक सरकार से सवाल पूछता है और सवाल पूछा जाना चाहिए। जनता चुनी हुई सरकार से सवाल नहीं करेगी तो किससे सवाल करेगी। हम सवालों से दूर नहीं जाते हम इसका सामना करते हैं क्योंकि हम चुने हुए प्रतिनिधि हैं। रिजिजू ने कहा कि उन्होंने कई कार्यक्रमों में भाग लिया है जिसमें सुप्रीम कोर्ट के प्रधान मुख्य न्यायाधीश और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शामिल होते हैं। वहां भी वह सवाल उठाते हैं। उन्होंने कहा कि आज वह कानून मंत्री के रूप में काम कर रहे हैं लेकिन कल अगर लोग उनकी सरकार को नहीं चुनेंगे तो वे विपक्ष बैठेंगे और सत्तारूढ़ सरकार से सवाल करेंगे। कानून मंत्री ने कहा लेकिन जब कोई जज बनता है तो उसे चुनाव का सामना नहीं करना पड़ता। जजों के लिए कोई सार्वजनिक जांच भी नहीं होती। इसलिए मैं कहता हूं कि लोग जज नहीं चुनते हैं और इसलिए जनता जजों को नहीं बदल सकती। लेकिन लोग आपको देख रहे हैं। आपका निर्णय और न्यायाधीशों का काम और जिस तरह से न्यायाधीश न्याय करते हैं लोग इसे देख रहे हैं और आकलन करते हैं। वे राय बनाते हैं। कानून मंत्री ने कहा कि एक मुख्य न्यायाधीश ने सोशल मीडिया पर न्यायाधीशों के साथ दुर्व्यवहार के संबंध में उनकी मदद मांगी थी। उन्होंने कहा कि इसे कैसे नियंत्रित किया जाए? जज सोशल मीडिया पर इसका जवाब नहीं दे सकते इसलिए सरकार से सख्त कदम उठाने का अनुरोध किया गया है। मैंने इस पर ध्यान दिया है। रिजिजू न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना में मुखर रहे हैं और यहां तक कि इसे संविधान से अलग भी करार दिया है। केंद्र सरकार जजों की नियुक्ति में अपनी भूमिका चाहती है। कानून मंत्री ने रविवार को एक उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की टिप्पणियों का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायाधीशों को नियुक्त करने का फैसला करके संविधान का अपहरण किया है और कहा कि वह पूर्व न्यायाधीश के दृष्टिकोण को समझदारी पूर्ण मानते हैं। अनिरुद्ध ईएमएस 24 जनवरी 2023