ज़रा हटके
25-Jan-2023
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नई दिल्ली (ईएमएस)। मछलियां खाने के शौकीन लोग अक्सर इसमें प्रोटीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होने की बात करते हैं। यह बात उन्हें परेशान कर सकती है कि मछलियां भी अब जहरीली हो रही हैं। एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी और अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने जॉइंट स्टडी में पाया कि अमेरिका की झीलों और नदियों का पानी इतना प्रदूषित हो चुका कि उसमें रहने वाली मछलियां भी जहरीली हो रही हैं। फ्रेशवॉटर मछलियों में 278 गुना फॉरेवर केमिकल मिलने लगा है जो गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है। इसे पर-एंड-पॉलीफ्लूरोलकिल सब्सटेंस (पीएफएएस)कहते हैं। यह वह रसायन है जो आमतौर पर नॉनस्टिक या फिर वॉटर-रेजिस्टेंट कपड़ों जैसे रेनकोट छतरी या मोबाइल कवर में होता है। शैंपू नेल पॉलिश और आई-मेकअप में भी इसकी बहुत थोड़ी मात्रा होती है। बहुत सारे अध्ययन इसके खतरों के बारे में साफ बताते हैं। इसका सीधा असर ग्रोथ और हॉर्मोन्स पर होता है। इसकी वजह से थायरॉइड और कोलेस्ट्रॉल जैसी दिक्कतें हो जाती हैं। यहां तक कि गर्भवती महिलाओं में इसकी वजह से मिसकैरेज या समय से पहले शिशुजन्म भी हो सकता है। ऐसे बच्चों का शरीर और ब्रेन ठीक से विकसित नहीं होने की आशंका रहती है। सन 2017 में इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर ने पीएफओए को साफ तौर पर ह्यूमन कार्सिनोजन कहा यानी जिससे कैंसर की आशंका रहती है। खासकर तौर किडनी और टेस्टिस का कैंसर। अमेरिकी नदी-झीलों में लगातार 3 सालों तक स्टडी के बाद दिखा कि ये पानी में पाए जाने वाले जीव-जंतुओं में यह केमिकल थोड़ा-बहुत नहीं बल्कि 2400 गुना ज्यादा मिलने लगा है। अगर ऐसे सी-फूड की आप महीने में एक सर्विंग भी खाएंगे तो ये ठीक वैसा ही है जैसे महीनेभर आप बैक्टीरिया और दूसरे जर्म्स से भरा पानी पी रहे हों। वैज्ञानिकों ने कहा कि सालभर में 4 बार भी मछली खाने पर शरीर में पीएफएएस खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है। अमेरिका के एकाध नहीं बल्कि 48 राज्यों में यही पैटर्न मिला है। अनिरुद्ध/ईएमएस 25 जनवरी 2023