अंतर्राष्ट्रीय
23-Apr-2023
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-जंगलों की बर्बादी का ये सिलसिला अभी थमा नहीं वियना (ईएमएस)। ताजा शोध के मुताबिक, ब्रिटेन और जर्मनी ने कच्चे माल के लालच के चलते सबसे ज्यादा जंगलों को बर्बाद किया है। यही नहीं, जंगलों की बर्बादी का ये सिलसिला अभी थमा नहीं है। ब्रिटेन और जर्मनी ने खनिजों और कोयले की खुदाई के लिए सबसे ज्यादा जंगलों को तबाह कर दिया। वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर के तोबियास किंड रीपर के नेतृत्व में किए गए इस शोध का मकसद ये पता करना था कि बीते 20 साल में कोयला, धातु अयस्क और दूसरे औद्योगिक सामानों की खुदाई के लिए दुनियाभर में कितने जंगलों को उजाड़ा गया है? शोध की रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोप में जर्मनी और ब्रिटेन ने मिलकर 38 फीसदी जंगलों को उजाड़ दिया।जर्मनी ने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए 265 वर्ग किमी जंगलों को बर्बाद कर दिया।दरअसल, जर्मनी में कच्चे माल का बड़े पैमाने पर आयात करना पड़ता है।आयातित कच्चे माल का 17 फीसदी जर्मनी की ऑटो इंडस्ट्री में इस्तेमाल हो जाता है।वहीं, 11 फीसदी आयातित कच्चा माल मशीनरी और प्लांट कंस्ट्रक्शन में इस्तेमाल होता है।रीपर के मुताबिक, कच्चे माल के लिए ये भूख दूसरी जगहों पर जंगलों को उजाड़ रही है। दुनियाभर के ज्यादातर देश सबसे ज्यादा कोयला और गोल्ड की खुदाई के लिए जंगलों को बर्बाद करते हैं। दुनियाभर के कई देश अपनी कच्चे माल की जरूरतों को पूरा करने के लिए वर्षावनों को उजाड़ देते हैं।खनिजों के लिए उजाड़े जाने वाले 80 फीसदी से ज्यादा जंगल 10 देशों में मौजूद हैं।इनमें 3,500 वर्ग किमी के साथ सबसे ज्यादा इंडोनेशिया के जंगलों को बर्बाद किया गया है।इसके बाद 1,700 वर्ग किमी वन क्षेत्र के साथ ब्राजील और करीब 1,300 वर्ग किमी जंगल रूस में तबाह किए गए हैं।जर्मनी और ब्रिटेन के बाद चीन सबसे ज्यादा 18 फीसदी जंगलों की बर्बादी के लिए जिम्मेदार है।ग्लोबल वार्मिंग को लेकर सबसे ज्यादा हायतौबा मचाने वाला अमेरिका भी इस मामले में पीछे नहीं है।अमेरिका कच्चे माल के लिए 12 फीसदी जंगल उजाड़ने के लिए जिम्मेदार है।रिसर्च में साल 2000 से लेकर 2020 के बीच के 20 वर्ष के आंकड़े जुटाए गए हैं।टीम शोध के लिए सेटेलाइट इमेजेज और अंतरराष्ट्रीय कारोबार का विश्लेषण कर डाटा जुटाया।शोध के लिए टीम ने सीधे के साथ ही 50 किमी के दायरे में अप्रत्यक्ष तौर पर हुई तबाही का भी काफी ध्यान रखा।बता दें कि खनिज और कोयले के साथ ही परिवहन व दूसरे कामों के लिए भी जंगल उजाड़ने को शामिल किया गया। आंकड़ों के मुताबिक, शोध की 20 साल की अवधि में दुनियाभर में 7.55 लाख वर्ग किमी जंगल तबाह कर दिए गए।रीपर का कहना है कि जंगलों को उजाड़ना पानी में जहर घोल रहा है।साथ इंसानों और जानवरों से उनकी आजीविका छीन रही है।यह साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता कि खदानों के नजदीकी पेड़ खुदाई की वजह से ही गिरे थे।रिसर्च के नतीजों के बाद ये सवाल स्वाभाविक है कि जंगलों को इस भीषण नुकसान से कैसे बचाया जाए? जियोइकोलॉजिस्ट गुड्रुन फ्रैंकेन के मुताबिक, पर्यावरण के अनुकूल खनन भी किया जा सकता है।इसके लिए पर्यावरण के मानक निश्चित किए जाएं।फिर उन मानकों के मुताबिक ही खनन किया जाए और उस पर नजर रखी जाए।दुनिया भर में खुदाई से पर्यावरण पर पड़ने वाले असर का आकलन किया जाता है। पर्यावरण के नुकसान को कम रखने के लिए यह भी जरूरी है कि इलाकों को दोबारा से बसाया जाए। मालूम हो कि दुनियाभर में लगातार बढ़ रहे तापमान को लेकर मौसम विज्ञानी काफी चिंतित हैं।काफी वर्षों से वैश्विक स्तर पर चर्चा जारी है कि ग्लोबल वार्मिंग की रफ्तार को कैसे कम किया जाए।कैसे पर्यावरण को प्रदूषण से बचाया जाए? इस मामले पर सबसे ज्यादा चिंतित नजर आने वाले विकसित देश ही सबसे ज्यादा जंगल उजाड़ने के लिए जिम्मेदार हैं।