लेख
01-May-2023
...


(२मई विश्व अस्थमा दिवस) वैसे मनुष्य का शरीर ही रोगो का घर होता हैं. रोग शरीर से अलग नहीं होते हैं, शरीर में भी रोगों के स्थान दो होते हैं शरीर और मन, मन और शरीर दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, यदि शरीर दुखी तो उसका प्रभाव मन पर भी पड़ता है और मन रोगी हो तो उसका प्रभाव शरीर पर पड़ता हैं और जन्म से मृत्यु के जीवन में रोगों का ही उत्पात चलता हैं, कुछ रोग जन्मजात होते हैं और कुछ रोग जन्म के बाद जैसे जैसे संपर्क, आहार, विहार, वातावरण मिलता हैं और हमारी प्रतिरोगोत्मक क्षमता की कमी होने से हम उस रोग से ग्रसित होते हैं, इसके साथ हमारे जन्म के समय हमारी जो प्रकृति बनती हैं या मिलती हैं उससे उस प्रकृति के अनुसार रोग हमें प्रभावित करते हैं। आधुनिक जीवन शैली ने हमें प्रकृति से दूर कर दिया हैं। पहले हम प्रकृति के बहुत नज़दीक होते थे. हमारा खाना पीना बहुत हद तक सात्विक होता था. हमारे आहार, नाश्ता, पेय पदार्थों में अधिक रसायनों का उपयोग नहीं होता था। और वे अधिकतर पौष्टिकता लिए होते थे. पहले गर्मी के दिनों में हम खुली छत, आँगन में सोते थे, प्राकृतिक हवा का आनंद मिलता था और नैसर्गिक वातावरण से हम बहुत कुछ सीखते थे और विधुत बचत करते थे, पैदल, साइकिल का उपयोग होता था.जिससे व्यायाम के साथ प्रदुषण मुक्त रहते थे। युग के हिसाब से परिवर्तन स्वाभाविक होता हैं। आज चारों तरफ गगन चुम्बी भवनों के साथ लोहा सीमेंट ने पूरा वातावरण गर्म कर दिया। शहर की दूरियां बहुत अधिक बढ़ गयी और समय का अभाव होने से, और आर्थिक सम्पन्नता के कारण वाहनों का चलन बढ़ने से सडको में प्रदुषण बहुत हो गया. घर घर पहले पंखे होते थे, फिर कूलर का चलन हुआ और अब एयर कंडीशनर का उपयोग होना सामान्य बात हैं। इसके साथ आधुनिकता के दौर ने हमारे खाने पीने में सेंध लगाई और श्रम का महत्व कुछ कम हुआ. इससे अन्य बिमारियों को हमने सहज आमंत्रित किया। आज अस्थमा सप्ताह के अंतर्गत इस बात पर चर्चा करना चाहूंगा की यह रोग के कारण, प्रकार, कैसे होता और बचाव कैसे कर सकते हैं इस पर प्रकाश डालूंगा -.जिस रोग में जीवन व्यापार या श्वास लेने में कष्ट होता हैं उसे अस्थमा या श्वास रोग कहते हैं, इसका मुख्य कारण जो वर्तमान में सामने आये हैं वे हैं पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, पेट्रोल डीज़ल वाहनों की निरंतर वृद्धि, धूल अथवा धूम के श्वास मार्ग में प्रविष्ट हो जाने से, शीतल जल का अधिक उपयोग करने से जैसे चिल्ल्ड /फ्रिज का पानी अधिक सेवन, अधिक व्यायाम, मैथुन करने से, अधिक दुर्बलता से, ज्वर, वमन,प्रतिश्याय,धातु क्षय.पांडुरोग फुफ्फुस में संक्रमण, और कुछ विकारी खाद्य से, इसके अलावा आधुनिक खोजों ने कुछ एलर्जिक कारणों के कारन भी रोग होना बताया हैं जैसे पालतू जानवर विशेष कर कुत्ते से भी एलर्जी होती हैं। आजकल हमारे घरों में कुछ सजावटी सामान के कारण भी माना जाता हैं। इसके अलावा मानसिक तनाव भी बहुत महत्वपूर्ण कारण माना जा रहा हैं। श्वास रोग के कारणों पर ध्यान देना आवश्यक हैं कारण वचाब ही इलाज़ हैं। - सहायक कारण ---१ कुल परमपरागत २ रोगी का पूर्व में एलर्जी का इतिहास -- हे फीवर, एक्जिमा और आर्टिकेरिया ३ मानसिक कारण -- अधिक संवेदनशील, ,बुद्धिमान, चिंता करने वाला, थकावट, अनिद्रा से पीड़ित को अधिक संभावना होती हैं। ४ क्रोनिक रोगों सेप्रतिरोधक शक्ति का कम होना, ५ मीनोपॉज के समय स्त्रियों को होना ६ नम, शीत, ओस युक्त वातावरण का होना, श्वशन प्रणाली के पूर्व रोग जैसे क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, ट्यूबरक्लोसिस,नेसल पोलिप , अडेनोइड्स इन चिल्ड्रन। उत्प्रेरक कारण १ इंहेल्ड एलर्जेन, पराग गण (पोलेंस ), जानवरों के बाल, डैंड्रफ , पंख , हाउस डस्ट , फेस पाउडर, सीमेंट, बालू, कॉटन के कण और तीब्र धूम (सेण्ट, अगरबत्ती ) ३ भोज्य पदार्थ की एलर्जी गेंहू, दूध आलू आदि ४ कुछ फुंगले इन्फेक्शन जैसे अस्पेरगिल्लुस । ४ कुछ मेडिसिन्स जैसे एस्प्रिन , आयोडीन ५ आंत्र कृमियाँ फिलेरसिस , एस्क्लेरिओसिस , एओसीनोफिलिअ ६ रेस्पिरेटरी सिस्टम से सम्बंधित -- क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, पल्मोनरी टी,बी,, वेट प्लेउरिसय। ब्रोंकिइक्टेसिस, इम्फीसेमा, ह्य्पेर्ट्रोपिक रायनाइटिस । सम्प्राप्ति (पैथोजेनेसिस) -- डव्लू - वर्म्स , ए -एलर्जी एस स्किन डिजीज === अस्थमा श्वास रोग श्वास रोग में दौरा आने के पहले रोगी में ये लक्षण मिलते हैं --बेचैनी, मानसिक उद्विंगता,छींक का आना, जुकाम, पेशाब का अधिक आना, शुष्क खांसी का आना. जहाँ तक इलाज की बात हैं तो इसका इलाज पहले आवश्यक जांच कर कराये। चिकित्सक की देखरेख में। पर एलर्जी का इलाज या रोग प्रतिरोगक्षमता बढ़ाने में यदि कोई मात्र हल्दी का उपयोग २ ग्राम या अपनी उम्र, सहनशक्ति के अनुसार दूध या पानी से ले तो बहुत लाभकारी होगा। ईएमएस / 01 मई 23