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25-May-2023
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-नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, प्रभात झा और पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी नई दिल्ली/ भोपाल (ईएमएस)। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस के हाथों मिली हार के बाद अब अपने मजबूत गढ़ मप्र में भाजपा में गुटबाजी चरम पर पहुंच गई है। पार्टी कई खेमों में बंट गई है। इस कारण मंत्रियों, विधायकों और पदाधिकारियों में वर्चस्व की जंग शुरू हो गई है। इस जंग को खत्म करने की जिम्मेदारी आलाकमान ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल और पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को सौंपी है। ये नेता अपने माध्यमों से पार्टी की वास्तविक स्थिति की रिपोर्ट बनाकर आलाकमान को देंगे। सूत्रों का कहना है कि उसके बाद आलाकमान सत्ता और संगठन में बड़ा बदलाव कर सकता है। संभावना जताई जा रही है कि बदलाव में तोमर, प्रहलाद पटेल और विजयवर्गीय को बड़ी जिम्मेेदारी दी जा सकती है। मप्र भाजपा में यह वर्चस्व की यह जंग अप्रैल 2020 से ही शुरू हो गई थी। कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली हार के बाद मप्र में अंदर खाने टकराव तेज हो गया है। बयानबाजी का दौर भी जारी है और कई नेता तो सत्ता और संगठन को धमकाने भी लगे हैं। यही कारण है कि केंद्रीय नेतृत्व अब राज्य में दखल बढ़ाने की दिशा में बढ़ गया है। राज्य में लगभग एक माह की स्थिति पर गौर किया जाए तो भाजपा के कई नेता ही पार्टी को आंख दिखाते नजर आ रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे और पूर्व मंत्री दीपक जोशी के भाजपा छोडक़र कांग्रेस में जाने के बाद से तो कई नेताओं के तेवर में तल्खी आ गई है। कई नेताओं के ऐसे बयान आए हैं जिसने सरकार और संगठन दोनों की मुसीबत बढ़ाने का काम किया है। -पूरे प्रदेश में असंतोष के सुर पूरे सूबे में कई जगह असंतोष के सुर भाजपा में उठ रहे हैं। इन्हें भी साधने की रणनीति तय हुई। ग्वालियर-चंबल और मालवा अंचल में सिंधिया खेमे और भाजपा के मूल कैडर में मतभेद हैं। विंध्य और बुंदेलखंड में भी भाजपा मूल कैडर के नेता टिकट की आशंका में अंतर्विरोध जताने लगे हैं। सभी जगह के फीडबैक लेकर आगे काम होगा। उधर, भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री शिवप्रकाश गुरुवार को दिल्ली से भोपाल आ रहे हैं। हालांकि, मंत्री गोपाल भार्गव समेत अन्य विधायक और नेता सागर लौट गए हैं। -सीएम-अध्यक्ष के कंट्रोल में नहीं स्थिति भाजपा सूत्रों का कहना है कि अभी तक संघ और संगठन ने पार्टी में वर्चस्व की जंग को जैसे-तैसे दबाए रखा था। लेकिन अब चुनावी साल में स्थिति कंट्रोल से बाहर हो गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के बीच बढ़ी रार से स्थिति और खराब हो गई है। हालांकि आलाकमान के हस्तक्षेप और फटकार के बाद वर्चस्व की जंग का सियासी बवंडर थामने के प्रयास तेज हो गए हैं। बुधवार की सुबह पहले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा सीएम से मिलने पहुंचे। सीएम की समझाइश के बाद नाराज नेताओं ने टकराव से इनकार किया। फिर सियासी गर्मी दिल्ली तक पहुंची, तो रात को केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर स्पेशल विमान से पहुंचे। पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, वीडी और संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा भी सीएम हाउस पहुंचे। यहां सीएम ने पहले अलग-अलग, फिर साथ में मंथन किया। तय हुआ कि, समन्वय बेहद जरूरी है। -सत्ता और संगठन में होगा बदलाव पार्टी सूत्रों को कहना है कि कर्नाटक में सत्ता और संगठन के खिलाफ असंतोष के बाद भी बदलाव नहीं करने का खामियाजा भाजपा भुगत चुकी है। इसलिए आलाकमान मप्र में कोई जोखिम नहीं उठाना चाहता है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है की सत्ता और संगठन में बड़ा बदलाव किया जा सकता है। ऐसे में प्रदेश की राजनीति के तीन बड़े दिग्गज नेताओं की जुगलबंदी ने प्रदेश के सियासी पारे को गरमा दिया है। ये नेता हैं नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल और कैलाश विजयवर्गीय। गौरतलब है की अभी तक के तमाम सर्वे में मप्र सरकार के खिलाफ जबरदस्त एंटी-इनकंबेंसी है। ऐसे में सत्ता और संगठन में नेतृत्व परिवर्तन के कयास लगाए जा रहे हैं।