व्यापार
26-May-2023
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लंदन (ईएमएस)। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक 2022 की चौथी तिमाही में दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों के विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर का हिस्सा 20 साल के निचले स्तर 58 फीसदी पर आ गया। अब यह और घटकर 1995 के समान स्तर पर आ गया है। अमेरिकी डॉलर की बादशाहत को अन्य प्रमुख मुद्राओं से चुनौती मिलने लगी है। इसकी वजह खुद अमेरिकी नीतियां हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के साथ प्रतिद्वंद्विता, यूक्रेन युद्ध के झटके और अमेरिकी कर्ज संकट ने दुनिया की प्रमुख मुद्रा के रूप में डॉलर की स्थिति पर फिर से विचार करने पर मजबूर किया है। कुछ बड़ी अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक व्यापार में अमेरिकी डॉलर का विकल्प तलाश रही हैं। रूस, चीन, भारत और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश इनमें शामिल हैं। बांग्लादेश जैसे दर्जन भर छोटे एशियाई देश भी स्थानीय मुद्रा में आपसी व्यापार कर रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल जारी है। भारत यूएई दिरहम व रूबल में रूसी तेल खरीद रहा है। चीन ने युआन से 88 अरब डॉलर का रूसी तेल, कोयला और धातु खरीदा। वैश्विक विदेशी मुद्रा लेनदेन में युआन की हिस्सेदारी बढ़कर 7 फीसदी पर पहुंच गई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक 2022 की चौथी तिमाही में दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों के विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर का हिस्सा 20 साल के निचले स्तर 58 फीसदी पर आ गया। अब यह और घटकर 1995 के समान स्तर पर आ गया है।