राष्ट्रीय
02-Jun-2023
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- हर साल हो रही है बढ़ोतरी, एम्स व आईसीएमआर की ‎रिपोर्ट में हुआ खुलासा नई दिल्ली (ईएमएस)। एम्स, आईसीएमआर और नोएडा स्थित एनआईसीपीआर ने अपने एक अध्ययन रिपोर्ट में बड़ा खुलासा किया है। ‎जिसमें यह बात सामने आई है कि भारत में हर साल तंबाकू उत्पादों से 1.7 लाख टन कचरा ‎निकलता है जो ‎कि मनुष्य के शरीर में जाता हैं। इसके साथ ही मनुष्यों के शरीर में प्रति वर्ष 82 हजार प्लास्टिक कण प्रवेश करते हैं, जो कई प्रकार के रोगों को जन्म देते हैं। देश के 17 राज्यों में तंबाकू उत्पाद और उनसे होने वाले घातक कचरे पर किए गए अध्ययन से यह जानकारी निकल कर सामने आई है। यह न केवल उन लोगों के लिए हानिकारक हैं जो उसका सेवन करते हैं बल्कि पर्यावरण पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। गौरतलब है ‎कि दुनिया में हर साल 31 मई को अंतरराष्ट्रीय तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इस दिन तंबाकू से हो रही मौतों और इसके दुष्परिणाम के बारे में लोगों को आगाह किया जाता है। 31 मई को ही तंबाकू पर सालभर हुए रिसर्च के नतीजे भी सामने आते हैं। जोधपुर एम्स, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और यूपी के नोएडा सेक्टर-39 स्थित राष्ट्रीय कैंसर इंस्टीट्यूट आफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च के अध्ययन में ये बात सामने आई है कि तंबाकू उत्पादों की पैकेजिंग के लिए हर वर्ष देश में करीब 22 लाख पेड़ भी काटे जाते हैं। इनके द्वारा साल भर में उत्पन्न होने वाला कचरा 89, 402.13 टन है। यह वजन कागज की 11.9 करोड़ नोटबुक के बराबर है। वहीं, पैकेजिंग से उत्पन्न 6,073 टन गैर-बायोडिग्रेडेबल एल्यूमीनियम पन्नी कचरे से 33 बोइंग 747 विमान बनाए जा सकते हैं। साथ ही इससे निकलने वाले फिल्टर के अपशिष्ट से 9 मिलियन स्टैंडर्ड आकार के टीशर्ट को बनाया जा सकता है। पर्यावरण ‎विशेषज्ञों के अनुसार तंबाकू उत्पादों से ‎निकलने वाला प्लास्टिकयुक्त कचरा लोगों के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी खतरनाक है। मनुष्यों के शरीर में हर साल 82 हजार प्लास्टिक कण प्रवेश करते हैं, जो विविध प्रकार के रोगों को जन्म देते हैं। चूंकि यह कचरा आमतौर पर खुले अनियंत्रित डंप साइटों, नालों और नदियों में फैंक दिया जाता है, इसलिए यह और भी खतरनाक हो जाता है। संयुक्त राष्ट्र की मानें तो विश्व में तकरीबन 125 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। इनमें 15 वर्ष से अधिक आयु के तकरीबन 25 करोड़ से ज्यादा भारतीय भी शामिल हैं। गौरतलब है ‎कि चीन के बाद भारत तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और उत्पादक देश लगातार बना हुआ है। तंबाकू के सेवन से विश्व में हर साल 80 लाख से अधिक लोगों की मौत होती है। भारत में भी तंबाकू से मरने वालों की संख्या प्रतिवर्ष 15 लाख तक पहुंचने वाली है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट कहती है कि तंबाकू जितना सेवन करने वालों के लिए खतरनाक है उतना ही जो इसको उगाते हैं उनके लिए भी खतरनाक है। तंबाकू की खेती में लगे श्रमिक रोजाना 50 सिगरेट के बराबर निकोटिन अवशोषित कर लेते हैं।