राष्ट्रीय
05-Jun-2023
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- सिंगापुर के विशेषज्ञों के नए शोध किया गया दावा नई दिल्ली (ईएमएस)। नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के विशेषज्ञों के नए शोध के मुताबिक, भारत में चलाए जा रहे बाघ बचाओ अभियान की वजह से पर्यावरण की सुरक्षा भी हो रही है। दरअसल, बाघ संरक्षण कार्यक्रम के तहत भारत ने जंगलों की कटाई को भी रोका। इससे कार्बन उत्सर्जन रोकने में अहम भूमिका निभाई और पर्यावरण प्रदूषण से जूझ रही पूरी दुनिया की मदद भी की है। आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया के कुल बाघों के तीन चौथाई भारत में हैं। सरकार के प्रयासों के कारण भारत में लगातार घट रहे बाघों की आबादी 2006 से बढ़ने लगी। इस समय भारत में बाघों की आबादी 3,000 से ज्‍यादा हो गई है। इस कवायद में भारत ने 52 नए टाइगर रिजर्व बनाए। इनमें लकड़ी काटने पर पाबंदी है।शोधकर्ता आकाश लांबा के मुताबिक, भारत ने बाघ की सुरक्षा करते हुए उनकेद प्राकृतिक आवास जंगलों की भी सुरक्षा की। जंगल बाघों के साथ ही दूसरे जानवरों और वनस्‍पतियों की प्रजातियों के आवास भी हैं। जंगल कार्बन को सोखने का काम करते हैं। लिहाजा, भारत ने जंगल कटने से बचाकर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभाई है। लांबा कहते हैं कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश है। हालांकि, भारत कार्बन उत्सर्जन में कमी की लगातार कोशिश कर रहा है। शोधकर्ताओं के दल ने बाघ संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन में कमी के बीच सीधा संबंध बताया है। उन्होंने बाघ संरक्षित क्षेत्रों में वन कटाई की तुलना उन क्षेत्रों से की, जो संरक्षित नहीं है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, साल 2001 से 2020 के बीच 162 क्षेत्रों में 61,000 हेक्टेयर वन क्षेत्र खत्‍म हुए थे। इनमें तीन चौथाई वन बाघ संरक्षित क्षेत्रों के बाहर थे। वहीं, बाघ संरक्षित क्षेत्रों में 2007 से 2020 के बीच लगभग 6,000 हेक्टेयर वन क्षेत्र की सुरक्षा हुई। इसका मतलब हुआ कि करीब 10 लाख मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन को रोका गया।मुख्‍य शोधकर्ता लांबा के मुताबिक, इतनी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन रोकने से बड़े आर्थिक लाभ होते हैं। भारत ने इससे 9.2 करोड़ डॉलर की बचत की है। वहीं, अगर सिर्फ बचाए गए जंगलों का आर्थिक असर देखा जाए तो 60 लाख डॉलर से ज्यादा की बचत हुई है। उनके मुताबिक, भारत ने कार्बन उत्सर्जन रोकने से जो कमाई की, वह बाघ संरक्षण पर हुए खर्च का एक चौथाई है। बता दें कि भारत लंबे समय से बाघ बचाओ अभियान चला रहा है। इसके नतीजे भी सामने आ रहे हैं और देश में बाघों की आबादी बढ़ रही है। इससे ना सिर्फ भारत को फायदा हो रहा है, बल्कि दुनिया की भी बड़ी मदद हो रही है। सुदामा/ईएमएस 05 जून 2023